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वाटरशेड विकास यात्रा का भव्य आयोजन, उप कृषि निदेशक ने दिखाई हरी झंडी

A grand event of the Watershed Vikas Yatra was held; the Deputy Director of Agriculture flagged it off
वाटरशेड विकास यात्रा का भव्य आयोजन, उप कृषि निदेशक ने दिखाई हरी झंडी

वाटरशेड विकास यात्रा का भव्य आयोजन, उप कृषि निदेशक ने दिखाई हरी झंडी

न्यूज़ रिपोर्टर: सुनील त्रिपाठी

प्रतापगढ़: जल संरक्षण और सतत कृषि विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जलागम विकास घटक-प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के तहत वाटरशेड विकास यात्रा का आयोजन किया गया। 

4 मार्च को डब्लूडीसी-1 मंगरौरा में निकाली गई इस यात्रा को भूमि संरक्षण अधिकारी द्वितीय कार्यालय प्रांगण से उप कृषि निदेशक विनोद कुमार यादव ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 

इस यात्रा के माध्यम से जल संरक्षण, वृक्षारोपण, एवं सतत कृषि पद्धतियों को लेकर किसानों को जागरूक किया गया।

तालाब जीर्णोद्धार और जल कलश यात्रा का आयोजन

यात्रा के पहले चरण में माइक्रो वाटरशेड-संग्रामपुर के ग्राम गोड़े में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान कलश यात्रा निकाली गई और तालाब जीर्णोद्धार हेतु भूमि पूजन किया गया। 

यह कदम क्षेत्र में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए जल स्रोत उपलब्ध हो सके।

दूसरे चरण में ग्राम पंचायत सरौली के नवाबाद में वृक्षारोपण, प्रभातफेरी एवं जल कलश यात्रा का आयोजन किया गया। 

इस दौरान परियोजना प्रबंधक एवं भूमि संरक्षण अधिकारी द्वितीय चमन सिंह ने किसानों को वाटरशेड प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जिससे जल संचयन और मिट्टी संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

पर्यावरण और जल संरक्षण पर जोर

कार्यक्रम में पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी ने किसानों को जल संरक्षण और हरित क्रांति के महत्व को समझाया। 

उन्होंने बताया कि यदि जल स्रोतों का संरक्षण किया जाए और वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाए, तो कृषि उत्पादन में सुधार किया जा सकता है।

खण्ड विकास अधिकारी मंगरौरा एवं सण्ड़वा चन्द्रिका ने किसानों को सरकार की विभिन्न विकास योजनाओं की जानकारी दी, ताकि वे इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें।

पशुपालन विभाग की सहभागिता

कार्यक्रम में पशुपालन विभाग के डॉ. विवेक गुप्ता ने किसानों को पशुपालन योजनाओं और उनके लाभों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि पशुपालन से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है बल्कि प्राकृतिक खाद एवं अन्य संसाधनों से जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलता है।

यात्रा को सफल बनाने में वाटरशेड टीम की अहम भूमिका

इस सफल आयोजन में वाटरशेड विकास टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ग्रुप-ए तिलक सिंह, अवर अभियंता आशीष कुमार यादव, वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ग्रुप-बी अजीत द्विवेदी, समरथ सिंह, सत्यव्रत मिश्रा, प्रताप नारायण, तथा प्राविधिक सहायक ग्रुप-सी प्रदीप कुमार चौहान, दशरथ और अनिल कुमार ने पूरे कार्यक्रम के समन्वय और संचालन में विशेष योगदान दिया।

जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

वाटरशेड विकास यात्रा न केवल एक औपचारिक कार्यक्रम थी, बल्कि यह ग्रामीण किसानों के लिए जल संरक्षण, सतत कृषि और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने का संदेश लेकर आई। 

इस यात्रा के माध्यम से किसानों को बताया गया कि जल और भूमि संसाधनों के उचित उपयोग से न केवल उनकी फसल उत्पादन क्षमता बढ़ेगी बल्कि भविष्य में जल संकट से भी बचा जा सकता है।

इस यात्रा से क्षेत्र के किसानों को जल संरक्षण एवं सतत कृषि प्रथाओं की नई प्रेरणा मिली, जो आने वाले समय में कृषि विकास और पर्यावरण संतुलन के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।

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