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बैसाखी पर्व पर Alopibagh गुरुद्वारा में श्रद्धा, समर्पण और सेवा का अनुपम संगम

Baisakhi Alopibagh Gurudwara

बैसाखी पर्व पर Alopibagh गुरुद्वारा में श्रद्धा, समर्पण और सेवा का अनुपम संगम, खालसा पंथ की सृजना को किया गया नमन

(ब्यूरो चीफ: अभय कुमार सिंह)

प्रयागराज (अलोपीबाग)

अलोपीबाग स्थित गुरुद्वारा साहिब में खालसा पंथ के सृजना दिवस "बैसाखी" का पावन पर्व बड़ी श्रद्धा, उत्साह और भक्ति भाव से मनाया गया। सुबह से ही संगत गुरुद्वारे में पहुंचकर गुरु के चरणों में शीश नवाते हुए गुरबाणी के अमोलक शब्दों और कीर्तन में लीन रही। बोले सो निहाल - सत श्री अकाल के जयकारों से समूचा वातावरण गूंज उठा और श्रद्धा से सराबोर हो गया।

इस अवसर पर प्रयागराज महापौर एवं भाजपा महानगर अध्यक्ष अपने कार्यकर्ताओं संग गुरुद्वारा पहुंचे और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के सामने माथा टेककर कीर्तन श्रवण किया। उन्होंने संगत को बैसाखी पर्व की बधाइयां दी और आज्ञा भई अकाल की, तभै चलायो पंथ, सभ सिखन को हुकुम है, गुरु मान्यो ग्रंथ का उद्घोष कर संगत का उत्साह और श्रद्धा बढ़ाई।

गुरुद्वारा समिति की ओर से प्रयागराज के वरिष्ठ समाजसेवी सरदार पतविंदर सिंह को अंगवस्त्र, पुष्पमाला व मोमेंटो भेंट कर "बोले सो निहाल - सत श्री अकाल" के जयकारों के साथ सम्मानित किया गया।

गुरबाणी, कीर्तन, अरदास और लंगर सेवा से सराबोर इस कार्यक्रम में संगत ने वाहेगुरु-वाहेगुरु के सामूहिक उच्चारण से आत्मिक शांति और आनंद की अनुभूति की। कार्यक्रम के अंत में गुरु का अटूट लंगर सब संगत को वितरित किया गया।

बैसाखी पर्व पर तीन दिवसीय गुरमत आध्यात्मिक समागम के अंतर्गत पंछियों-चिड़ियों के लिए जलपात्र सेवा भी की गई। गुरुद्वारे की ओर से श्रद्धालुओं को मिट्टी के जलपात्र वितरित कर उन्हें अपने घरों की छतों व दीवारों पर दाना-पानी रखने हेतु प्रेरित किया गया - यह सेवा भावना और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता का सुंदर उदाहरण बनी।

इस पावन अवसर पर परमजीत सिंह, गुरदीप सिंह सरना, सरदार पतविंदर सिंह, परमिंदर सिंह बंटी, मनु सिंह चावला, कुलदीप सिंह बग्गा, बलजीत सिंह, हरजीत सिंह कथुरिया, त्रिलोचन सिंह बग्गा, हरमनजीत सिंह, जसविंदर सिंह नीतू, कुलदीप सिंह खालसा, लखविंदर सिंह, राजेंद्र सिंह ग्रोवर, गुरबख्श सिंह, जसवीर सिंह, मनजीत सिंह खालसा, सुदर्शन सिंह, प्रेमजीत गुजराल, हरमनजी सिंह, जसवीर कौर, अंजु गुलजार, सरगम कौर, दलजीत कौर सहित बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष, युवा व बच्चे श्रद्धा भाव से उपस्थित रहे।

बैसाखी पर्व के माध्यम से जहां खालसा पंथ की गौरवगाथा का स्मरण हुआ, वहीं सेवा, समर्पण और गुरबाणी में लीन रहने का सच्चा संदेश भी समाज को मिला।

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