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सांकेतिक तस्वीर |
Yog और अध्यात्म को समर्पित: Indore (M.P) में Guru Gorakhnath के नाम पर फ्लाईओवर और मेट्रो स्टेशन के नामकरण की ऐतिहासिक मांग
{राष्ट्रीय मुख्य ब्यूरो चीफ अभय कुo सिंह}
इंदौर: भारत की प्राचीनतम योग परंपरा के संवाहक नाथ संप्रदाय ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए इंदौर शहर में योगाचार्य गुरु गोरखनाथ के नाम पर फ्लाईओवर और मेट्रो स्टेशन के नामकरण की औपचारिक मांग की है। यह मांग अखिल भारतवर्षीय नाथ समाज के प्रदेश महासचिव लेखराज जोगी के नेतृत्व में की गई है, जिन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री, महापौर, विधायक और नगरीय प्रशासन मंत्री सहित कई प्रमुख जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा है।
लेखराज जोगी ने यह स्पष्ट किया है कि यह मांग न केवल नाथ समाज की धार्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है, बल्कि गुरु गोरखनाथ के योग दर्शन और अध्यात्मिक विरासत को सम्मान देने का एक प्रयास भी है। यह दोनों मांगें फ्लाईओवर और मेट्रो स्टेशन का नामकरण मध्यप्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा पूरी की जाएं।
गुरु गोरखनाथ: योग परंपरा के आधार स्तंभ
नाथ समाज का यह स्पष्ट मत है कि गुरु गोरखनाथ भारत के योग दर्शन के मूर्त रूप हैं। वे न केवल शिव के अवतारी माने जाते हैं, बल्कि योग को जन-जन तक पहुँचाने वाले योगाचार्य भी हैं। उन्होंने समाज में ऐसे समय में आध्यात्मिक जागरण फैलाया जब जातिवादी और सामाजिक रूढ़ियों का बोलबाला था। उनका जीवन तप, संयम, और साधना की मिसाल है।
आज गुरु गोरखनाथ की शिक्षाएं भारत ही नहीं, विश्वभर में अनुयायियों द्वारा मानी जाती हैं। गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर उनकी परंपरा का वैश्विक केंद्र बन चुका है।
इंदौर में 'योगाचार्य गुरु गोरखनाथ योग सेतु' की मांग
लेखराज जोगी ने प्रस्ताव रखा है कि इंदौर में किसी प्रमुख फ्लाईओवर और मेट्रो स्टेशन का नाम योगाचार्य गुरु गोरखनाथ योग सेतु किया जाए। उनका मानना है कि यह न केवल नाथ समाज को सम्मान देने वाला कदम होगा, बल्कि इंदौर को वैश्विक योग और आध्यात्मिक मानचित्र पर स्थापित करने में भी सहायक सिद्ध होगा।
गुरु गोरखनाथ के करोड़ों अनुयायी भारत के विभिन्न राज्यों में ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और अन्य देशों में भी हैं। ऐसे में, इंदौर जैसे आधुनिक और व्यावसायिक शहर में उनका नाम सार्वजनिक स्थलों से जोड़ा जाना, एक वैश्विक संदेश होगा।
योगी आदित्यनाथ से विशेष अपील
नाथ समाज के प्रदेश महासचिव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरखपुर पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे अपने प्रभाव का उपयोग करके मध्यप्रदेश सरकार से बात करें और इस मांग को साकार करवाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ स्वयं गुरु गोरखनाथ की परंपरा के प्रतिनिधि हैं और उनका समर्थन इस मांग को राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बल देगा।
स्मारक नहीं, सांस्कृतिक पहचान की मांग
लेखराज जोगी ने स्पष्ट किया कि यह मांग केवल एक स्मारक की नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक अस्मिता और योग परंपरा को सामाजिक मान्यता दिलाने की है। उन्होंने कहा कि यह मांग नाथ समाज के गौरव का विषय है, और समाज इसके लिए जन-जागरूकता अभियान चलाने को भी तैयार है।
नाथ समाज के वरिष्ठ संतों, मठाधीशों और साधु-संतों से भी इस मांग के समर्थन में पत्र और सार्वजनिक वक्तव्य लिए जा रहे हैं।
गौरवशाली परंपरा, राष्ट्र निर्माण में भूमिका
नाथ संप्रदाय की भारत की सांस्कृतिक धरोहर में अमूल्य भूमिका रही है। इस परंपरा ने न केवल योग और ध्यान को जन-जन तक पहुँचाया, बल्कि सामाजिक समरसता, भक्ति और आत्मशक्ति के माध्यम से समाज सुधार का भी कार्य किया। नाथ संतों ने उस समय की सामाजिक रूढ़ियों का विरोध करते हुए आम जन को आध्यात्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिलाया।
गुरु गोरखनाथ का नाम आज भी असंख्य गांवों, नगरों और संस्थाओं में श्रद्धा के साथ लिया जाता है। उनके नाम पर शिक्षा, योग और चिकित्सा से जुड़ी कई संस्थाएँ आज भी सक्रिय हैं।
राजनीतिक तटस्थता और राष्ट्रीय भावना
नाथ समाज ने स्पष्ट किया है कि यह मांग किसी विशेष राजनीतिक दल या विचारधारा से प्रेरित नहीं है। यह एक राष्ट्रधर्मी, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उद्देश्य से प्रेरित पहल है। समाज ने केंद्र सरकार द्वारा भगवा संस्कृति और योग के प्रचार के लिए किए गए कार्यों की सराहना करते हुए यह भी कहा कि नाथ संप्रदाय को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए जितना अन्य प्रमुख संप्रदायों को मिलता है।
आगामी योजनाएँ और संघर्ष का संकल्प
इस मांग को आगे बढ़ाने के लिए नाथ समाज इंदौर और पूरे मध्यप्रदेश में हस्ताक्षर अभियान, जनजागरूकता रैली, संत सम्मेलनों और मीडिया संवाद जैसे कई आयोजन करेगा। लेखराज जोगी ने कहा कि यह लड़ाई केवल नाथ समाज की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की है जो योग, साधना और भारतीय परंपरा को सम्मान देता है।
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