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सरदार पतविंदर सिंह जैसे समर्पित सेवादारों ने महाकुंभ को और भी दिव्यता प्रदान की

Dedicated sevadars like Sardar Patwinder Singh from the Sikh community added even more divinity to the Mahakumbh.

सरदार पतविंदर सिंह जैसे समर्पित सेवादारों ने महाकुंभ को और भी दिव्यता प्रदान की

रिपोर्टर: सुनील त्रिपाठी

प्रयागराज: आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना से ओत-प्रोत महाकुंभ 2025 का भव्य समापन हो गया। श्रद्धालुओं ने इस महासंगम में केवल आस्था और पुण्य का अनुभव ही नहीं किया, बल्कि सेवा-सत्कार और समर्पण की त्रिवेणी से भी अभिभूत हुए। 

सिख समाज के सरदार पतविंदर सिंह जैसे समर्पित सेवादारों की निस्वार्थ भावना ने महाकुंभ को और भी दिव्यता प्रदान की।

सेवा और समर्पण की मिसाल बने सेवादार

महाकुंभ में हर ओर 'अतिथि देवो भव' की भावना देखने को मिली। सेवादारों ने श्रद्धालुओं की हर संभव सहायता की, चाहे वह राह दिखाने की बात हो या भोजन और चिकित्सा सेवाओं की। 

सरदार पतविंदर सिंह जैसे समर्पित सेवादारों ने अपनी सेवा-भावना से सबको अभिभूत कर दिया। उनकी सेवा अद्भुत और अकल्पनीय रही, जो संकल्प से सिद्धि तक का सफर तय करने वाली थी।

श्रद्धालु आनंदित और प्रफुल्लित मन से लौटे

महाकुंभ में श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया और सेवा-सत्कार के इस माहौल में स्वयं को सुरक्षित और सम्मानित महसूस किया। 

प्रयागराज में आए श्रद्धालु प्रफुल्लित और आनंदित मन से अपने गंतव्य को लौटे, इस संकल्प के साथ कि वे इस अलौकिक अनुभव को जीवनभर संजोकर रखेंगे।

सेवा की भावना रही जागृत

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संवेदना, सेवा और समर्पण की पराकाष्ठा भी रहा। हर किसी ने अपने-अपने स्तर पर सेवा का योगदान दिया और श्रद्धालुओं को सहज अनुभव प्रदान करने के लिए कार्य किया। इस महायोजना ने यह संदेश दिया कि सेवा ही सच्चा धर्म है।

महाकुंभ 2025 ने जहां श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता से जोड़ा, वहीं सेवा-सत्कार और संवेदना का एक अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत किया।


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