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वर्दी के पीछे भी एक इंसान है: पुलिसकर्मियों के सम्मान में बदलें अपनी सोच

There Is a Human Behind the Uniform
वर्दी के पीछे भी एक इंसान है: पुलिसकर्मियों के सम्मान में बदलें अपनी सोच

वर्दी के पीछे भी एक इंसान है: पुलिसकर्मियों के सम्मान में बदलें अपनी सोच

(रिपोर्टर पवन कुमार )

अयोध्या: जब पूरा देश अपने परिवार के साथ त्योहारों की खुशियां मना रहा होता है, तब पुलिसकर्मी हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे होते हैं। वे अपनी खुशियां, अपने त्यौहार और यहां तक कि अपने परिवार को भी पीछे छोड़कर दिन-रात ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। लेकिन जब ड्यूटी खत्म होने के बाद वे कुछ देर के लिए तनावमुक्त होकर हंसते, नाचते या गाते हैं, तो कुछ लोग इसे विवाद का मुद्दा बना देते हैं।

क्या पुलिसकर्मियों को खुश रहने का अधिकार नहीं?

पुलिसकर्मी भी हमारे समाज का हिस्सा हैं। वे कोई मशीन नहीं हैं और न ही भावनाहीन रोबोट। वे भी इंसान हैं, जिनके अंदर एक धड़कता हुआ दिल है, जिनकी अपनी इच्छाएं, भावनाएं और जिम्मेदारियां होती हैं। लेकिन जब वे अपने कठिन कर्तव्य को निभाने के बाद कुछ पल सुकून के बिताते हैं, तो कुछ लोग उनके वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने लगते हैं और आलोचना करने से भी नहीं चूकते।

पुलिस भी हमारी तरह इंसान है, उनकी भावनाओं को समझें

हर नागरिक को यह समझना होगा कि पुलिसकर्मी हर वक्त वर्दी पहने रहने वाले 24 घंटे के सैनिक नहीं होते। उनकी भी एक निजी जिंदगी होती है, जिसमें वे हंसना, मुस्कुराना और खुशी मनाना चाहते हैं।

सोचिए, अगर…

  • अगर पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान हंसते हैं, तो इससे उनका मनोबल बढ़ता है।
  • अगर वे अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद नाचते-गाते हैं, तो इसमें गलत क्या है?
  • क्या हम खुद अपने त्योहारों पर नहीं नाचते, गाते और हंसते? फिर पुलिस के लिए अलग नजरिया क्यों?

पुलिस का हौसला बढ़ाइए, न कि उन्हें कटघरे में खड़ा कीजिए

देश के हर नागरिक को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा खड़ी रहती है, दिन-रात हमारी रक्षा करती है, और कई बार अपनी जान की बाजी तक लगा देती है। अगर वे कुछ समय के लिए अपने परिवार या साथियों के साथ खुशियों के पल बिताते हैं, तो हमें उनका सम्मान करना चाहिए, न कि उनके वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर आलोचना करनी चाहिए।

अब वक्त आ गया है कि हम भी पुलिस के सम्मान में खड़े हों

हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वे पुलिसकर्मियों को भी समाज का एक अभिन्न हिस्सा मानें और उनकी खुशियों को भी उतनी ही अहमियत दें, जितनी वे हमारी सुरक्षा को देते हैं।

याद रखें, वर्दी के पीछे भी एक इंसान होता है, और हर इंसान को खुश रहने का अधिकार है!

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