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मुंगरहा पीएचसी की बदहाली: फार्मासिस्ट के भरोसे स्वास्थ्य केंद्र, डॉक्टर ड्यूटी से

Mungraha PHC in Ruins Health Center Relies on Pharmacist, Doctors Absent from Duty

मुंगरहा पीएचसी की बदहाली: फार्मासिस्ट के भरोसे स्वास्थ्य केंद्र, डॉक्टर ड्यूटी से

(रिपोर्ट: रत्नेश्वर मिश्रा)

गायबबस्ती रुधौली: जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर रुधौली विधानसभा के मुंगरहा ग्राम पंचायत में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। 

मरीजों को इलाज देने के बजाय यह स्वास्थ्य केंद्र खुद इलाज की बाट जोह रहा है। स्थानीय जांच में सामने आया कि पीएचसी प्रभारी डॉ. अनिल कुमार मौर्य ड्यूटी से नदारद हैं जबकि फार्मासिस्ट अब्दुल कयूम अकेले व्यवस्था संभाल रहे हैं।

खंडहर में तब्दील हो रहा पीएचसी

स्थलीय पड़ताल में पीएचसी की स्थिति दयनीय पाई गई। फार्मासिस्ट अब्दुल कयूम ने बताया कि पिछले एक साल से केंद्र की व्यवस्था बीमार है। परिसर में बिजली की सुविधा नहीं है, कमरों में गंदगी का अंबार लगा है खिड़कियों के शीशे टूटे पड़े हैं और चारों ओर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं। 

दिन के समय भी मरीज डर के कारण यहां आने से कतराते हैं। परिसर का हाल ऐसा है कि इसे देखकर अस्पताल की बजाय खंडहर ज्यादा लगता है।

डॉक्टर की अनुपस्थिति जिम्मेदारों की उदासीनता

जब इस मामले को लेकर रुधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक आनंद कुमार मिश्र से बात की गई, तो उन्होंने डॉक्टरों की कमी का हवाला दिया। उन्होंने कहा, पिछले तीन महीनों से डॉ. अनिल कुमार मौर्य सीएचसी पर ड्यूटी कर रहे हैं और पीएचसी भी जाते हैं। 

हालांकि, सवाल उठता है कि डॉ. मौर्य की तैनाती आखिर कहां है और वह ड्यूटी कहां कर रहे हैं? यह स्थिति जिम्मेदारों की उदासीनता को उजागर करती है।

सपा विधायक ने जताई नाराजगी, कार्रवाई की मांग

मुंगरहा पीएचसी की इस दुर्दशा की जानकारी जब रुधौली विधानसभा के समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक राजेंद्र प्रसाद चौधरी को दी गई तो उन्होंने कड़ा रुख अपनाया। 

विधायक ने कहा स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकार की नीतियों के साथ डॉक्टर खिलवाड़ कर रहे हैं। यह बेहद गंभीर मामला है। मैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात कर डॉ. अनिल कुमार मौर्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग करूंगा।

मरीजों का हाल बेहाल

मुंगरहा पीएचसी की बदहाली का सबसे ज्यादा खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। इलाज के अभाव में मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है जो उनकी आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने स्वास्थ्य केंद्र तो बनाया, लेकिन उसकी देखरेख और डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने में पूरी तरह नाकाम रही है।

आगे  की योजना क्या?

मुंगरहा पीएचसी की यह स्थिति न केवल स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति को भी उजागर करती है। अब देखना यह है कि विधायक की पहल और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के हस्तक्षेप से इस स्वास्थ्य केंद्र की हालत में सुधार होता है या यह खंडहर में तब्दील होता चला जाता है।

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