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प्राकृतिक खेती से समृद्ध होंगे प्रदेश के किसान

State Farmers to Prosper Through Natural Farming

State Farmers to Prosper Through Natural Farming: प्राकृतिक खेती से समृद्ध होंगे प्रदेश के किसान

(रिपोर्ट- सुनील त्रिपाठी )

प्रतापगढ़: प्रदेश में किसानों की समृद्धि और कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से भूमि की उर्वरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, साथ ही इससे मानव स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। 

ऐसे में प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान न केवल अपनी उत्पादन लागत को कम कर सकते हैं, बल्कि अधिक स्वास्थ्यवर्धक और गुणवत्तापूर्ण फसल भी प्राप्त कर सकते हैं।

भारत सरकार द्वारा ‘नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग’ के तहत किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें ‘जीरो बजट प्राकृतिक खेती’ प्रमुख है। 

इस खेती के अंतर्गत रासायनिक खादों के बजाय पेड़-पौधों की पत्तियां, कृषि अवशेष, गोबर, गौमूत्र, चने का बेसन, गुड़ और मिट्टी से बने जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। इससे मृदा की उर्वरता बनी रहती है और फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने प्रदेश में गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। 

विशेष रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौ-आधारित प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। इस पद्धति से किसानों को महंगे बीज, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी।

प्रदेश सरकार द्वारा ‘नमामि गंगे परियोजना’ के तहत गंगा तटवर्ती 1038 ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक खेती को व्यापक रूप से लागू किया गया है। 27 जिलों, 21 नगर निकायों और 1648 राजस्व ग्रामों में गंगा यात्रा के दौरान किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभों के बारे में जागरूक किया गया। इसके अतिरिक्त, गंगा किनारे 92180 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कराई जा रही है।

बुंदेलखंड क्षेत्र में गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 23500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में चरणबद्ध तरीके से योजना लागू करने का लक्ष्य रखा है। 

पहले चरण (2022-2026) में 23500 क्लस्टर और दूसरे चरण (2023-2027) में 235 क्लस्टर के माध्यम से 50-50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती की जा रही है।

प्रदेश सरकार किसानों को इस खेती के लिए आवश्यक सहयोग और प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों में भी प्राकृतिक खेती को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है, जिससे युवा किसान इस तकनीक को अपनाकर अपनी कृषि आय बढ़ा सकें।

गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों की सहायता के लिए प्रति माह प्रति गोवंश ₹1500 की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है। 

इसके अलावा, गंगा उद्यान, गंगा वन, गंगा तालाब जैसी योजनाओं को भी प्राकृतिक खेती के लिए विकसित किया जा रहा है।

प्रदेश में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए हमीरपुर में 35100 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती में परिवर्तित किया जा चुका है। इससे किसानों को न केवल अधिक लाभ मिलेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

कम लागत, अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता - इन्हीं मूल सिद्धांतों पर आधारित प्राकृतिक खेती प्रदेश के किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर रही है। 

सरकार के निरंतर प्रयासों से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में प्रदेश के अधिक से अधिक किसान इस पद्धति को अपनाकर आत्मनिर्भर बनेंगे और प्रदेश की कृषि व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाएंगे।

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