कोमलता, आध्यात्मिकता, सहनशीलता के प्रतीक श्री गुरु तेग बहादुर जी : सरदार पतविंदर सिंह
(ब्यूरो चीफ अभय कुमार सिंह )
प्रयागराज।
भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह की अध्यक्षता में सामाजिक युवाओं की एक महत्वपूर्ण बैठक स्वर्गीय भूपेंद्र सिंह सभागार में सम्पन्न हुई। यह आयोजन सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में किया गया।
इस अवसर पर सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन आध्यात्मिक चेतना, सहिष्णुता और मानवीय मूल्यों का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि गुरुजी विक्रमी संवत 1723 (ई. 1666) में प्रयागराज आए थे और लगभग छह माह तक यहाँ रहकर धर्म, आध्यात्मिकता व सामाजिक चेतना का प्रसार किया।
उस समय उनके साथ माता नानकी, पत्नी माता गुजरी, भाई कृपाल चंद्र, सेवक भाई मतीदास, सतीदास, दयाला, बाबा गुरुदीत्ता आदि भी मौजूद थे। आज भी उनका प्रवास स्थल श्री गुरुद्वारा पक्की संगत, अहियापुर, मालवीय नगर के नाम से प्रसिद्ध है।
बैठक को संबोधित करते हुए दलजीत कौर ने कहा कि गुरुजी ने प्रयाग, बनारस, पटना और असम जैसे क्षेत्रों में जाकर समाज के आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए कार्य किए। उन्होंने रूढ़ियों और अंधविश्वासों का विरोध कर नए आदर्शों की स्थापना की। कुएँ खुदवाना, धर्मशालाएँ बनवाना आदि उनके परोपकारी कार्यों के उदाहरण हैं।
परमिंदर सिंह बंटी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने मानवता की रक्षा हेतु अपना बलिदान दिया। उन्होंने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि किसी को न डराना चाहिए, न ही किसी से डरना चाहिए। उनके इसी त्याग के कारण उन्हें 'सृष्टि की चादर' और 'मानवता के रक्षक' के रूप में जाना जाता है।
ज्ञानी जसपाल सिंह ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने यह स्पष्ट कर दिया कि सच्चा गुरु चमत्कारों से नहीं, बल्कि ईश्वर की रजा में रहकर मार्गदर्शन करता है। उन्होंने अपनी कुर्बानी से यह सिद्ध किया कि सच्चा संत वही होता है जो परहित के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर कर दे।
बैठक में रविंदर सिंह, जसवीर सिंह, मनजीत सिंह, मनप्रीत सिंह, हरमनजीत सिंह समेत कई युवाओं ने भाग लिया और गुरुजी के विचारों को आत्मसात करते हुए सभी को प्रकाश पर्व की बधाई दी।
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