बकुलाही नदी को मिलेगी नई जिंदगी: विधायक जीत लाल की पहल पर सिंचाई विभाग ने शुरू किया सर्वे
(ब्यूरो रिपोर्ट: सुनील कुमार त्रिपाठी)
प्रतापगढ़: बकुलाही नदी की अति प्राचीन धारा को पुनः सदानीरा बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल हुई है। सिचाई विभाग की टीम ने भयहरण नाथ धाम के समक्ष नदी के पुराने मार्ग में डाइवर्जन हेतु डैम निर्माण के लिए सर्वेक्षण कार्य संपन्न किया।
यह प्रयास विश्वनाथगंज के विधायक जीत लाल पटेल की सक्रिय पहल पर संभव हो सका है, जिससे क्षेत्रवासियों और नदी पुनरोद्धार अभियान से जुड़े लोगों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
इतिहास से वर्तमान तक का संघर्ष
रामायण काल में 'बालकुनी' नाम से प्रसिद्ध बकुलाही नदी कभी प्रतापगढ़ की जीवनरेखा मानी जाती थी।
रायबरेली के मझियार ताल से निकलकर प्रतापगढ़ के खजुरनी ग्राम में सई नदी में मिलने वाली यह नदी, 1990 के दशक में भयहरण नाथ धाम के पास किए गए लूप कटिंग और नाला निर्माण के कारण सूख गई थी।
इस परिवर्तन ने न केवल नदी को मरणासन्न कर दिया, बल्कि क्षेत्र को भीषण जल संकट में झोंक दिया।
जन सहयोग से जन्मा आंदोलन
28 अगस्त 2011 से युवा सामाजिक कार्यकर्ता समाज शेखर के नेतृत्व में स्थानीय जनता ने नदी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया।
बारह दिन और बारह रात चले जन-सहयोगी प्रयास से नदी की प्राचीन धारा का पुनर्निर्माण प्रारंभ हुआ, जो 23 जून 2015 को अतिक्रमण मुक्त मार्ग के साथ पूर्णता को प्राप्त हुआ। यह कार्य चरणबद्ध तरीके से हुआ, जिसमें हजारों लोग निरंतर श्रमदान करते रहे।
राजनीतिक पहल और सरकारी समर्थन
2014 के उपचुनाव में विधायक बने डॉ. आर. के. वर्मा ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को बार-बार उठाया और योजना निर्माण में भूमिका निभाई। मनरेगा के माध्यम से भी नदी खुदाई में सहायता मिली।
इसके बाद 2022 में विधायक बने जीत लाल पटेल ने इस मिशन को प्राथमिकता में शामिल कर फिर से प्रयासों की गति तेज की।
सर्वेक्षण और आशाओं की नई किरण
इस चौथे चरण के सर्वे में सिचाई विभाग की टीम के साथ जन प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता एवं क्षेत्रीय लोग उपस्थित रहे।
समाज शेखर ने विधायक जीत लाल से भेंट कर आभार व्यक्त किया और मांग की कि डाइवर्जन डैम का कार्य शीघ्रता से पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा, यह डैम न केवल प्राचीन धारा को जीवन देगा, बल्कि संपूर्ण नदी को सदानीरा बना देगा।
उल्लेखनीय उपस्थिति
इस अवसर पर भयहरण नाथ धाम के कार्यवाहक अध्यक्ष लाल जी सिंह, संरक्षक अशोक मिश्र, देवी मिश्र सहित अनेक जन प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।
बकुलाही नदी के पुनर्जीवन का यह प्रयास केवल एक नदी को नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र को जीवन देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। जनचेतना, सामाजिक समर्पण और राजनीतिक इच्छाशक्ति का यह समन्वय आने वाले समय में एक मिसाल बनेगा।
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