हाईकोर्ट का आदेश: बस्ती में तालाब समतल करने वालों पर होगी कठोर कार्रवाई, डीएम को 26 मई तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश
रिपोर्ट: रत्नेश्वर मिश्रा, बस्ती
कप्तानगंज क्षेत्र के विश्नोहरपुर गांव में गड्ढा और बंजर जमीन को लेकर चल रहे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। प्रयागराज हाईकोर्ट के आदेश पर पहले तो प्रशासन ने 17 अप्रैल को अवैध कब्जा हटवाकर जमीन को अतिक्रमणमुक्त कर दिया था, लेकिन अब उसी जमीन को दोबारा पाटकर समतल कर दिया गया, जिससे कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, हर्रैया तहसील के ग्राम गड़हा गौतम के अंतर्गत विश्नोहरपुर गांव में स्थित खसरा संख्या 99 की भूमि, जो गड्ढा और बंजर श्रेणी की है उस पर संतराम उपाध्याय और रीता द्वारा अवैध कब्जा कर निर्माण कार्य किया जा रहा था।
गांव निवासी अजय कुमार पांडेय की शिकायत पर जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने अधिवक्ता के.एल. तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। कोर्ट ने 25 अप्रैल को सुनवाई निर्धारित करते हुए डीएम बस्ती से व्यक्तिगत हलफनामा तलब कर लिया था।
डीएम के निर्देश पर एसडीएम हर्रैया ने पुलिस बल की मौजूदगी में कब्जा हटवाकर गड्ढे को मूल स्थिति में बहाल कराया था।
परंतु कुछ ही दिनों बाद कब्जेदारों ने फिर से गड्ढा भरकर जमीन को समतल कर दिया। इस पर याची अजय पांडेय ने पुनः जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई।
इसके बाद अधिवक्ता के.एल. तिवारी ने पुनः हाईकोर्ट में मामला उठाया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि -
तालाब को समतल करना एक गंभीर मामला है विशेषकर तब जब जिलाधिकारी ने हलफनामे में इसे मूल स्थिति में बहाल बताया था। यदि फिर से मिट्टी डालकर इसे समतल किया गया है तो यह अदालत को गुमराह करने जैसा है।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि -
- डीएम बस्ती स्वयं स्थल का निरीक्षण करें।
- टोटल स्टेशन पद्धति से सीमांकन कराएं।
- निरीक्षण को GPS कैमरे से रिकॉर्ड किया जाए, जिसमें डीएम की उपस्थिति स्पष्ट हो।
- यदि तालाब समतल पाया गया, तो दोषियों पर कठोर कार्यवाही हो और तालाब को पुनः स्थापित किया जाए।
- 26 मई, 2025 तक पूरी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाए।
अब यह देखना होगा कि डीएम बस्ती कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दोषियों पर क्या कार्रवाई करते हैं और क्या तालाब को उसकी मूल स्थिति में पुनर्स्थापित किया जा सकेगा।
अगली सुनवाई हाईकोर्ट में 26 मई को दोपहर 2 बजे निर्धारित की गई है।
यह मामला अब जनहित और प्रशासनिक जवाबदेही दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन चुका है।
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