Sardar Patvinder Singh: बुद्ध के उपदेश आज भी देते हैं प्रेरणा
प्रयागराज में बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह के नेतृत्व में एक चौपाल का आयोजन किया गया। इस चौपाल में क्षेत्र के विभिन्न वर्गों के युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आयोजन का उद्देश्य भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और उनके जीवन दर्शन को जन-जन तक पहुँचाना था।सरदार पतविंदर सिंह के विचार
सरदार पतविंदर सिंह ने अपने संबोधन में कहा-बुद्ध शब्द केवल बोध और ज्ञान का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उस परम चेतना का दर्पण है, जहाँ आत्मा अज्ञान के अंधकार को चीरकर ज्ञान के प्रकाश से जगमगा उठती है। इस सृष्टि में यदि कोई चीज सर्वोच्च मूल्य रखती है, तो वह है ज्ञान। भगवान बुद्ध जाग्रत आत्मा, प्रकाशमान चेतना और करुणा की जीवंत मूर्ति हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें आत्म-जागरूकता और मानवता के प्रति संवेदनशीलता का मार्ग दिखाती हैं।
डॉ. सुरेश कुशवाहा का संदेश
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुरेश कुशवाहा ने भगवान बुद्ध को करुणा का साक्षात् अवतार बताते हुए कहा-बुद्ध की शिक्षाएँ सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की अटूट धारा से गहराई से जुड़ी हैं। सच्चा बोध उस हृदय में जन्म लेता है, जो दूसरों के दुख-दर्द को देखकर संवेदना से भर उठता है। करुणा ही वह पहली सीढ़ी है, जो हमें सत्य और समता के पथ पर ले जाती है।
मोहित अग्रहरी का संदेश
युवा वक्ता मोहित अग्रहरी ने बुद्ध पूर्णिमा के महत्व पर जोर देते हुए कहा-
यह पवित्र दिन हमें अपने अंतःकरण को करुणा, सौजन्य और सहानुभूति से समृद्ध करने का अवसर प्रदान करता है। भगवान बुद्ध का संदेश समाज में शांति और सद्भावना स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
दिलीप चतुर्वेदी का संदेश
दिलीप चतुर्वेदी ने भगवान बुद्ध के सत्य, अहिंसा और प्राणिमात्र के प्रति करुणा के संदेश को विश्व शांति का आधार बताया। उन्होंने कहा-बुद्ध की शिक्षाएँ पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही हम समता और शांति का समाज बना सकते हैं।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस अवसर पर आलोक कुमार, सत्यम, भगवती लाल, पुरुषोत्तम मित्तल, दयानंद चौधरी, अजीत, हरमनजी सिंह, दलजीत कौर सहित कई राष्ट्रभक्त स्वयंसेवक उपस्थित रहे। सभी ने भगवान बुद्ध के आदर्शों को आत्मसात करने और उनके संदेशों को समाज में प्रसारित करने का संकल्प लिया।यह आयोजन बुद्ध पूर्णिमा के महत्व को रेखांकित करने के साथ-साथ युवाओं में करुणा, शांति और समता के मूल्यों को जागृत करने में महत्वपूर्ण योगदान दे गया। भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी प्राचीन काल में थीं, और यह आयोजन उनके संदेशों को जीवंत करने का एक सार्थक प्रयास रहा।
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