गुरु की शहादत को श्रद्धांजलि: सुखमणि साहिब का अखंड पाठ 30 मई को होगा संपन्न
(मुख्य ब्यूरो चीफ, अभय कुमार सिंह)
प्रयागराज: सिख पंथ के पंचम गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत को समर्पित विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अंतर्गत प्रयागराज के अलोपीबाग गुरुद्वारे सहित विश्वभर के गुरुद्वारों में कई दिनों से चल रहा सुखमणि साहिब का पाठ 30 मई को संपूर्णता को पहुंचेगा। यह आयोजन गुरुजी के बलिदान को स्मरण करते हुए संगत की आस्था, सेवा और समर्पण का प्रतीक बन गया है।
गुरुद्वारा अलोपीबाग के प्रधान सेवादार परमजीत सिंह बग्गा ने बताया कि 30 मई को श्री अखंड पाठ साहिब की संपूर्णता के साथ खुले दीवान हॉल में विशेष दीवान सजाया जाएगा। इसमें रागी जत्थों द्वारा शब्द कीर्तन, गुरु इतिहास का वर्णन, अरदास एवं हुक्मनामा के उपरांत मीठा ठंडा जल और गुरु का अटूट लंगर संगत को वितरित किया जाएगा।
परमजीत सिंह बग्गा ने कहा, सिख इतिहास बलिदानों से भरा पड़ा है और इसकी शुरुआत पंचम पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत से मानी जाती है। उन्होंने 'साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी' की संपादना की और धर्म, सेवा व समरसता के प्रचार में जीवन समर्पित किया।
इतिहासकार बताते हैं कि बादशाह अकबर के देहांत के बाद सत्ता में आए कट्टरवादी जहांगीर ने 30 मई 1606 ई. को लाहौर में गुरु अर्जुन देव जी को तपते तवे पर बैठाकर और सिर पर गर्म रेत डालकर अमानवीय यातनाएं दीं, जिसके फलस्वरूप गुरुजी ने अपने प्राण बलिदान कर दिए।
इस प्रसंग पर भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने कहा, गुरुजी की शहादत सिख पंथ में बलिदान की परंपरा की नींव है। तपते तवे पर बैठकर भी वे प्रभु की रज़ा में रमे रहे और 'तेरा कीया मीठा लागै॥ हरि नामु पदार्थ नानक मांगै॥' जैसे अमर वचन उच्चारे।
उन्होंने आगे कहा, गुरु अर्जुन देव जी को शांति का पुंज और शहीदों का सरताज कहा जाता है। उनके द्वारा रचित 'सुखमणि साहिब' वाणी आज भी समस्त मानवता के लिए शांति, भक्ति और सकारात्मकता का स्रोत है।
गुरुद्वारों में मीठा ठंडा जल वितरित कर संगत और आमजन को सेवा और सिख परंपरा से जोड़ने का विशेष प्रयास हो रहा है। यह आयोजन न केवल गुरु अर्जुन देव जी को श्रद्धांजलि है, बल्कि मानवता के लिए उनके संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम भी है।
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