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Himanta Biswa Sarma’s bold reply: अगर वे गाय का मांस फेंकते हैं, तो सुअर का मांस फेंको

Himanta Biswa Sarma’s bold reply
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Himanta Biswa Sarma’s bold reply: अगर वे गाय का मांस फेंकते हैं, तो सुअर का मांस फेंको - CM सरमा का पलटवार

(गुवाहाटी, असम- संवाददाता विशेष)

गुवाहाटी, 19 जून 2025 - असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कट्टरपंथी सोच और धार्मिक असहिष्णुता को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जो देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। 

मुख्यमंत्री ने कहा:

अगर कोई सड़क पर गाय का मांस फेंक कर हमारे धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, तो जवाब में सुअर का मांस फेंकना चाहिए। आखिर संतुलन तो होना चाहिए।

सरमा ने यह बयान उन घटनाओं की प्रतिक्रिया में दिया, जिनमें कथित रूप से कुछ समुदायों द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर जानबूझकर गोमांस फेंक कर हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुँचाई गई। मुख्यमंत्री ने इस बयान के ज़रिए यह संदेश देने की कोशिश की कि अगर एक समुदाय अपनी सीमाएं लांघे, तो दूसरे समुदाय को भी मजबूती से खड़ा होना चाहिए।

राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल

मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कुछ लोगों ने इसे हिंदू समाज की आत्मरक्षा का संदेश बताया, तो कुछ ने इसे ध्रुवीकरण की राजनीति करार दिया।

कई हिंदू संगठनों ने इस बयान का स्वागत किया है, वहीं कुछ विपक्षी दलों और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वालों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि ऐसे बयान सामाजिक तनाव को बढ़ा सकते हैं।

क्या कहता है कानून और संविधान?

भारत का संविधान सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता देता है, लेकिन इसके साथ ही शांति और सौहार्द बनाए रखने की जिम्मेदारी भी तय करता है। किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया अगर कानून व्यवस्था को चुनौती देती है, तो उसका समाधान न्यायिक प्रणाली के तहत ही संभव है।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का यह बयान स्पष्ट रूप से हिंदू समाज को एक सख्त संदेश देने के लिए था कि अब चुप रहने का समय नहीं रहा। यह बयान कट्टरपंथ के विरुद्ध एक चेतावनी की तरह भी देखा जा रहा है।

हालांकि, भारत जैसे विविधताओं वाले देश में जहां विभिन्न धर्मों के लोग साथ रहते हैं, वहां जिम्मेदार नेतृत्व की उम्मीद यह होती है कि वह संवेदनशील मामलों में संतुलन बनाए रखे और समाज में शांति एवं सौहार्द को प्राथमिकता दे।

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