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गौशाला बनी कब्रगाह: Gonda के पतिसा गांव में गोवंशों की तड़पती मौतें और भ्रष्टाचार की सच्चाई उजागर

Gonda Gaushala Scandal Cattle Deaths Corruption

गौशाला बनी कब्रगाह: Gonda के पतिसा गांव में गोवंशों की तड़पती मौतें और भ्रष्टाचार की सच्चाई उजागर

स्थान: ग्राम पंचायत पतिसा, विकासखंड हलधरमऊ, कर्नलगंज तहसील, जनपद गोंडा

(रिपोर्ट ब्यूरो चीफ सुनील कुमार त्रिपाठी)

तारीख: 18 July 2025

उत्तर प्रदेश की सरकार जहां निराश्रित गोवंशों के संरक्षण और पोषण के लिये अनेक योजनाएं लाती है, वहीं गोंडा जिले के एक गांव से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वह जमीनी हकीकत को आइना दिखा रही हैं। ग्राम पंचायत पतिसा की गौशाला में भूख और प्यास से तड़पते गोवंशों की मौतें, वायरल वीडियो में निर्दयता से मृत पशुओं की ढुलाई और ग्राम पंचायत स्तर पर बजट के दुरुपयोग के आरोप गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं।

वायरल वीडियो से खुली पोल

सोशल मीडिया पर हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें मृत गायों को वाहन में बेतरतीब और अमानवीय तरीके से लादा जा रहा था। यह दृश्य पतिसा गांव की गौशाला का बताया जा रहा है, और स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह पहली बार नहीं है। पिछले कुछ महीनों से यहां गोवंशों की मौतों का क्रम लगातार जारी है।

इस रिपोर्ट के साथ संलग्न चित्र में दिख रहा है कि कैसे गोवंश खुले में तड़पते हुए पड़े हैं और हरे चारे या पानी की कोई व्यवस्था नहीं दिखती। एक ओर सरकारी बजट जारी होता है, तो दूसरी ओर ये दृश्य किसी भी संवेदनशील नागरिक को झकझोर देने के लिए पर्याप्त है।

कागज़ों में चारा-पानी, ज़मीन पर हाहाकार

गौशाला के लिए हर महीने हजारों रुपये का बजट जारी किया जाता है। इस बजट में हरे चारे, भूसे, दाने और जल की व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात होती है। 

लेकिन वक्त का मुद्दा न्यूज़ की टीम जब मौके पर पहुँची तो वहां-

  • चारा पात्र खाली मिले,
  • पानी की टंकी सूखी थी,
  • और कई गायें अस्वस्थ अवस्था में लेटी थीं।
  • स्थानीय निवासी रामदयाल निषाद का कहना है,

गौशाला अब गौशाला नहीं रही, यह गोवंशों की कब्रगाह बन चुकी है।

ग्राम पंचायत और प्रशासन पर गंभीर आरोप

सूत्रों के अनुसार, गौशाला की देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव की है। ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले दो वर्षों से गौशाला की देखभाल के नाम पर आवंटित धन का भारी दुरुपयोग हो रहा है।

एक ग्रामीण महिला सीता देवी बताती हैं,

प्रधान जी कहते हैं कि सब व्यवस्था है, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं। गायें खुद चिल्ला-चिल्ला कर कह रही हैं कि हम भूखे हैं।

प्रशासनिक मौन और योजनाओं की असफलता

इस पूरे मामले पर अभी तक न तो स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारी और न ही ब्लॉक स्तर के किसी अधिकारी ने खुलकर कोई प्रतिक्रिया दी है। इससे प्रशासन की निष्क्रियता और लापरवाही भी सामने आती है।

राज्य सरकार की गोवंश कल्याण योजनाएं जैसे कि निराश्रित गोवंश आश्रय योजना, पशुधन पोषण सहायता योजना सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं।

ग्रामीणों की प्रशासन से मांग

गांव के सैकड़ों लोगों ने मांग की है कि:

  • गौशाला में हो रही मौतों की उच्चस्तरीय जांच की जाए।
  • बजट का स्वतंत्र ऑडिट करवाया जाए।
  • दोषियों पर FIR दर्ज हो और सख्त कार्रवाई हो।
  • तत्काल पशुओं के लिए चारा, पानी और चिकित्सा व्यवस्था कराई जाए।

क्या कहते हैं पशु प्रेमी और सामाजिक संगठन?

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अनुराग मिश्र कहते हैं:

गौशालाएं केवल धर्म या राजनीति का प्रतीक नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना की परीक्षा हैं। यदि यहां भी जानवरों को मरने के लिए छोड़ दिया गया, तो यह सभ्यता के लिए शर्मनाक होगा।

मामले की संवेदनशीलता और समाधान की जरूरत

यह मामला सिर्फ गोंडा जिले का नहीं है। प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी इस प्रकार की खबरें आती रही हैं। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक संरक्षण के नाम पर  दोषी बचे रहते हैं।  

वक्त का मुद्दा न्यूज़ की अपील

वक्त का मुद्दा न्यूज़ सरकार और प्रशासन से अपील करता है कि प्रदेश की सभी गौशालाओं का ऑडिट कराया जाए, निगरानी प्रणाली को पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाए, और सबसे जरूरी, गोवंशों की सेवा में संलग्न जिम्मेदार अधिकारियों को सशक्त, उत्तरदायी और संवेदनशील बनाया जाए।

डिस्क्लेमर

यह रिपोर्ट स्रोतों, स्थानीय नागरिकों, मीडिया फुटेज, क्षेत्रीय निरीक्षण और सार्वजनिक उपलब्ध सूचना के आधार पर तैयार की गई है। इसमें दिए गए आरोप और तथ्य प्रशासन की पुष्टि के अधीन हैं। यदि संबंधित पक्ष अपनी प्रतिक्रिया साझा करना चाहें तो उनका पक्ष प्रकाशित किया जाएगा। इस रिपोर्ट का उद्देश्य केवल जनहित में सूचना देना है, किसी संस्था या व्यक्ति की छवि को ठेस पंहुचाना नहीं।

वक्त का मुद्दा न्यूज़ संपर्क सूत्र 

Waqtkamudda2007@gmail.com

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