कांवड़ यात्रा के दौरान संगम तट से प्रधानमंत्री को भारत रत्न देने की मांग, सरदार पतविंदर सिंह ने की पहल
(रिपोर्ट- ब्यूरो चीफ सुनील कुमार त्रिपाठी)
श्रावण मास में कांवड़ यात्रा के दौरान आस्था, सेवा और राष्ट्रवाद का एक दुर्लभ संगम प्रयागराज के पवित्र तट पर देखने को मिला। जहां एक ओर हजारों शिवभक्त जलाभिषेक हेतु गंगा-यमुना के संगम पर एकत्र हुए, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत रत्न देने की मांग उठाकर राजनैतिक हलकों में एक नई बहस को जन्म दे दिया।
संगम क्षेत्र में सेवा के साथ राष्ट्र के नाम अपील
सरदार पतविंदर सिंह अपने दर्जनों सहयोगियों के साथ प्रयागराज के संगम क्षेत्र पहुंचे, जहां उन्होंने कांवड़ियों की सेवा-सत्कार करते हुए श्रद्धालुओं को जल, फल व प्राथमिक उपचार जैसी सुविधाएं प्रदान कीं। लेकिन इस सेवा कार्य के साथ उन्होंने एक विशेष उद्देश्य के लिए भी जन-जागरूकता अभियान शुरू किया।
उनके सहयोगियों के हाथों में प्लैकार्ड थे, जिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों, उनके राष्ट्रहित में लिए गए निर्णयों और दीर्घकालीन नेतृत्व को लेकर प्रेरणादायक सूक्तियां और तथ्य लिखे गए थे।
इस अभियान के माध्यम से उन्होंने देशभर के सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत रत्न देने का प्रस्ताव अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणियों में पारित कर केंद्र सरकार को भेजें।
नरेंद्र मोदी: एक ऐतिहासिक नेतृत्व का नाम
सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4080 दिन का कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं, जो आज़ाद भारत में किसी भी निर्वाचित प्रधानमंत्री के लिए एक रिकॉर्ड है। वे ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो आज़ादी के बाद जन्मे, और जिन्होंने लगातार तीन बार लोकसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता हासिल की। राज्य और केंद्र को मिलाकर वह अब तक 24 वर्षों तक सरकार का नेतृत्व कर चुके हैं।
उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी का नेतृत्व सिर्फ राजनीतिक सफलता तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारत की एकता, अखंडता और वैश्विक प्रतिष्ठा को नए शिखर पर पहुँचाया है। चाहे वह धारा 370 का हटाया जाना हो, राम मंदिर निर्माण, या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की मजबूत उपस्थिति हर मोर्चे पर उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है।
संसद परिसर में प्रतिमा और पोट्रेट की मांग
सरदार पतविंदर सिंह ने प्रधानमंत्री से अपील की कि देश के प्रति अतुलनीय योगदान को सम्मानित करने के लिए उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया जाए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने संसद भवन परिसर में उनकी प्रतिमा स्थापित करने तथा सेंट्रल हॉल में उनका चित्र (पोर्ट्रेट) लगाए जाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह पहल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में उनके योगदान को स्थायी रूप से अमर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।
सहयोगियों का समर्थन: मोदी इस सम्मान के वास्तविक हकदार
इस अभियान में मौजूद अमित प्रजापति ने प्रधानमंत्री की नीतियों और निर्णयों की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल दशकों पुराने मुद्दों को हल किया है, बल्कि उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग को ध्यान में रखते हुए योजनाएं चलाईं, जिससे देश में व्यापक परिवर्तन आया है। वे इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान के वास्तविक हकदार हैं।
वहीं कमल सिंह ने कहा कि देश के विभिन्न राजनीतिक दलों को स्वेच्छा से दलगत भावना से ऊपर उठकर इस ऐतिहासिक क्षण में सहभागिता निभानी चाहिए और अपने दलों की राष्ट्रीय कार्यकारिणियों में यह प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री को भारत रत्न दिलाने की प्रक्रिया को बल देना चाहिए।
सरदार पतविंदर सिंह: जनसेवा और राष्ट्रसेवा का संयोजन
सरदार पतविंदर सिंह लंबे समय से पार्टी संगठन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और अल्पसंख्यक वर्ग के बीच प्रधानमंत्री की नीतियों को लेकर जन-जागरण अभियान चला रहे हैं। संगम पर कांवड़ियों के बीच उनकी यह मुहिम इस बात का प्रतीक है कि मोदी का नेतृत्व केवल बहुमत की राजनीति नहीं, बल्कि लोक मानस में एक स्थायी स्थान बना चुका है।
इस अवसर पर ये लोग भी रहे उपस्थित
इस अभियान में दलजीत कौर, हरमनजीत सिंह, अजय, दीपक, संजय, अवनीश, अभिषेक, अनुज, कमल सिंह सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने इस मांग का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना की और एक स्वर में भारत रत्न दिए जाने की अपील की।
कांवड़ यात्रा के इस पावन अवसर पर संगम तट से उठी यह मांग अब देशभर में राजनीतिक चर्चा का विषय बन सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत रत्न देने की अपील केवल राजनीतिक सम्मान नहीं, बल्कि जनभावना का प्रतिबिंब बनकर सामने आ रही है। अब देखना यह होगा कि देश के प्रमुख राजनीतिक दल इस पहल पर क्या रुख अपनाते हैं।
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