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पुराने चेहरों की पुनरावृत्ति से अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं में असंतोष

Minority Workers Dissent Old Faces Politics

पुराने चेहरों की पुनरावृत्ति से अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं में असंतोष, पार्टी नेतृत्व से नए चेहरों को मौका देने की मांग

(न्यूज़ संचालक बलराम वर्मा)

प्रदेश में सरकार के गठन के वर्षों बाद भी कमेटियों और आयोगों में लगातार वही पुराने चेहरे अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधित्व के नाम पर नियुक्त किए जा रहे हैं। 

इससे न केवल संगठन के जमीनी कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल रहा है, बल्कि उन हजारों समर्पित अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी गहरी चोट पहुंच रही है जो बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक पूरी निष्ठा से पार्टी की विचारधारा को समाज के अंतिम पायदान तक पहुंचाने में लगे हुए हैं।

पुराने नामों की पुनरावृत्ति से प्रतिभाएं उपेक्षित

क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि -

पार्टी नेतृत्व को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अल्पसंख्यक समुदाय में ऐसे कई समर्पित कार्यकर्ता हैं जो वर्षों से निस्वार्थ भाव से संगठन के लिए कार्य कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कमेटियों और आयोगों में कभी स्थान नहीं मिला। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बार-बार वही पुराने चेहरे रिपीट किए जाते हैं। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है और निष्क्रियता को बढ़ावा मिलता है।

जमीनी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता मिले

अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ताओं और प्रदेश भर के जमीनी स्तर पर जुड़े कार्यकर्ताओं की भी यही मांग है कि अब समय आ गया है कि नए, सक्रिय और संगठन के लिए समर्पित चेहरों को मंच दिया जाए। केवल चेहरा दिखाकर अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने की परंपरा अब संगठन के हित में नहीं रही।

संगठन की मजबूती का सवाल

यह सवाल अब पार्टी की नीति और नीयत दोनों के सामने एक चुनौती बनकर खड़ा है। जब तक संगठन जमीनी कार्यकर्ताओं को सही मंच और अवसर नहीं देगा, तब तक ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ का नारा सिर्फ एक भाषण भर ही रह जाएगा।

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