सूर्या स्कूल में ‘Operation Sindoor’ व Terrorism विरोधी कोलाज प्रतियोगिता, छात्रों की रचनात्मकता में झलकी राष्ट्रभक्ति
(ब्यूरो चीफ सुनील कुमार त्रिपाठी )
खलीलाबाद स्थित सूर्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उस समय अद्भुत दृश्य देखने को मिला, जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और आतंकवाद जैसे समसामयिक एवं संवेदनशील विषयों पर आधारित कोलाज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कक्षा 6 से 11 तक के विद्यार्थियों ने उत्साह के साथ प्रतिभाग करते हुए अपनी रचनात्मक सोच, कलात्मक अभिव्यक्ति और सामाजिक चेतना का शानदार परिचय दिया।
रचनात्मकता के माध्यम से राष्ट्रबोध
इस प्रतियोगिता का उद्देश्य केवल सुंदर चित्रों का निर्माण नहीं था, बल्कि विद्यार्थियों को राष्ट्रहित, समसामयिक चुनौतियों और वैश्विक विषयों पर विचार करने और उन्हें रचनात्मक रूप में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करना था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की वीरता, सैनिकों के त्याग, और आतंकवाद की त्रासदी को छात्र-छात्राओं ने जिस संवेदनशीलता और परिपक्व दृष्टिकोण से कोलाज में उतारा, वह न सिर्फ दर्शकों को भावविभोर कर गया, बल्कि यह भी दर्शाया कि आज की पीढ़ी में देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना कितनी प्रबल है।
नवाचार और नैतिक मूल्यों की शिक्षा
यह आयोजन न केवल विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को मंच प्रदान करने वाला था, बल्कि उन्हें जिम्मेदार, संवेदनशील और जागरूक नागरिक के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक प्रयास भी साबित हुआ।
कलात्मकता के माध्यम से जागरूकता
इस प्रतियोगिता का उद्देश्य केवल रंगों और आकृतियों का सौंदर्य रचना नहीं था, बल्कि विद्यार्थियों को राष्ट्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सोचने, समझने और उसे रचनात्मक माध्यम से अभिव्यक्त करने के लिए प्रेरित करना था।
यह आयोजन विद्यार्थियों के सृजनात्मक विकास के साथ-साथ उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा।
छात्रों ने अपने चित्रों में आतंकवाद के कारण मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाया, वहीं भारतीय सेना की भूमिका और देश की सुरक्षा में उनके योगदान को भी प्रमुखता दी। कोलाज में शहीदों को श्रद्धांजलि, सैनिकों के बलिदान, और ‘राष्ट्र पहले’ की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
रचनात्मकता और देशप्रेम का सशक्त मिलन
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विद्यार्थियों ने कतरनों, रंगों, प्रतीकों और लेखों के माध्यम से अपने विचारों को अभिव्यक्त किया। कुछ कोलाज में आतंकवाद के कारण उत्पन्न सामाजिक विघटन, बच्चों और महिलाओं पर पड़ने वाले असर को दिखाया गया, जबकि कुछ ने यह संदेश दिया कि शिक्षा, भाईचारा और संवाद से ही स्थायी समाधान निकल सकते हैं।
इन कलाकृतियों ने यह साबित किया कि आज की युवा पीढ़ी न केवल देश की सुरक्षा से जुड़े विषयों को समझती है, बल्कि उस पर सोचने और समाज को जागरूक करने की क्षमता भी रखती है।
विद्यालय प्रबंधन की सक्रिय भूमिका
कार्यक्रम में विद्यालय के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय प्रताप चतुर्वेदी, निदेशिका सविता चतुर्वेदी और प्रधानाचार्य रविनेश श्रीवास्तव की गरिमामयी उपस्थिति रही। तीनों ने विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों का अवलोकन किया और उनके विचारों को सुनकर उनकी सराहना की।
डॉ. चतुर्वेदी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा,
"हमारा प्रयास रहता है कि छात्रों को पाठ्यपुस्तकों से बाहर निकालकर उन्हें समाज, राष्ट्र और विश्व की सच्चाई से जोड़ा जाए। यह प्रतियोगिता छात्रों को सोचने, समझने और व्यक्त करने का अवसर देती है।"
सम्मान और उत्साह का वातावरण
प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इससे छात्रों का उत्साह कई गुना बढ़ गया।
प्रतिभागियों ने भी बताया कि इस तरह के आयोजनों से उन्हें न केवल आत्मविश्वास मिलता है, बल्कि समाज के जटिल मुद्दों को समझने और उनकी प्रस्तुति करने की दिशा में नई दृष्टि भी मिलती है।
अभिभावकों और शिक्षकों की भागीदारी
कार्यक्रम की सफलता में शिक्षकों की मार्गदर्शक भूमिका और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी भी विशेष रही। शिक्षकों ने विद्यार्थियों को न केवल तकनीकी सहायता दी, बल्कि विषय की गहराई समझाने में भी सहयोग किया।
अभिभावकों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रतियोगिता बच्चों को रचनात्मकता के साथ-साथ राष्ट्रीय दायित्व की भावना से भी जोड़ती है।
छात्रों ने छोड़ी गहरी छाप
पूरे कार्यक्रम में विद्यार्थियों की सृजनात्मकता और सामाजिक समझ का जो स्तर सामने आया, वह यह सिद्ध करता है कि देश का भविष्य जागरूक, जिम्मेदार और संवेदनशील हाथों में है।
छात्रों ने बिना किसी लाग-लपेट के अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यदि उन्हें उचित मंच और मार्गदर्शन मिले, तो वे समाज में सार्थक परिवर्तन ला सकते हैं।
एक प्रेरक पहल
इस आयोजन से यह भी सिद्ध हुआ कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल अंक अर्जन नहीं, बल्कि एक समग्र व्यक्तित्व निर्माण है जिसमें संवेदना, जागरूकता और रचनात्मकता शामिल हो।
विद्यालय प्रबंधन की यह पहल निश्चित रूप से अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। ऐसे आयोजन जहां बच्चों की सोच राष्ट्रहित से जुड़ती हो, वहां केवल प्रतिभा नहीं, चरित्र भी निर्माण होता है
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