Governor Anandiben Patel ने किया Anganwadi कार्यकत्रियों के लिए तैयार पुस्तक का लोकार्पण
(रिपोर्ट: रा•मुख्य ब्यूरो चीफ अभय कुo सिंह)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ में आयोजित एक गरिमामयी कार्यक्रम के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई "बाल विकास एवं पोषण शिक्षा" पर आधारित शैक्षिक पुस्तक का विधिवत विमोचन किया।
यह पुस्तक उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज द्वारा विकसित की गई है, जिसे विशेष रूप से प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पुस्तक के निर्माण में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि “बाल विकास एक समग्र प्रक्रिया है, जिसमें बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक पक्षों का संतुलित विकास अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है, बल्कि इससे प्रदेश के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव भी मजबूत होगी। यह पहल बाल विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कदम है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है।”
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत्यकाम और उनकी पूरी टीम को इस नवाचार हेतु बधाई दी और कहा कि ऐसे प्रयासों को व्यापक रूप से सभी जिलों में पहुंचाना चाहिए ताकि यह लाभ प्रदेश की प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकत्री को प्राप्त हो सके।
पुस्तक की विशेषताएं और उद्देश्य
कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने जानकारी दी कि "बाल विकास एवं पोषण शिक्षा" नामक इस पुस्तक में कई प्रमुख पहलुओं को शामिल किया गया है। इनमें बाल विकास की अवधारणाएं, शिशु आहार, बाल पोषण, बाल स्वास्थ्य सेवाएं, आंगनबाड़ी की संरचना, संगठनात्मक कार्यशैली और बाल मनोविज्ञान पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक की भाषा सरल, सहज एवं कार्यकत्रियों की व्यावहारिक समझ के अनुरूप है, ताकि वे इसे आसानी से आत्मसात कर सकें और अपने कार्यस्थल पर प्रभावी रूप से लागू कर सकें।
उन्होंने यह भी बताया कि यह कोर्स प्रमाण पत्र स्तर पर संचालित किया जा रहा है और इसे आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए निःशुल्क रखा गया है। राज्यपाल के मार्गदर्शन और प्रेरणा से शुरू की गई इस योजना में कार्यकत्रियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य केवल ज्ञानवर्धन नहीं, बल्कि समाज के आधार स्तंभ चपन को सशक्त बनाना है।
समाजसेवा की दिशा में विश्वविद्यालय का नया अध्याय
प्रोफेसर सत्यकाम ने अपने संबोधन में कहा कि राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय न केवल शैक्षणिक गतिविधियों तक सीमित है, बल्कि सामाजिक सरोकारों से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की यह भूमिका राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की सतत प्रेरणा और मार्गदर्शन से और भी सक्रिय हुई है।
उन्होंने कहा, “राज्यपाल महोदया की प्रेरणा से विश्वविद्यालय केवल पठन-पाठन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि समाज के जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी गंभीर प्रयास कर रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए चलाया जा रहा यह शैक्षणिक कार्यक्रम न केवल कार्यकत्रियों की दक्षता में वृद्धि करेगा, बल्कि बच्चों के जीवन स्तर को भी उन्नत करेगा।
अन्य पुस्तकों का विमोचन भी हुआ
इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने योग के विभिन्न आयामों और गर्भ संस्कार जैसे विषयों पर केंद्रित अन्य पुस्तकों का भी विमोचन किया। इन पुस्तकों को भी राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। राज्यपाल ने इन पुस्तकों को समाज में जागरूकता फैलाने और समग्र जीवनशैली को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास बताया।
सूचना एवं पुस्तकालय विज्ञान नेटवर्क केंद्र के साथ समझौता
कार्यक्रम के दौरान राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय और सूचना एवं पुस्तकालय विज्ञान नेटवर्क केंद्र (INFLIBNET) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता विश्वविद्यालय की डिजिटल पाठ्य सामग्री और शैक्षणिक संसाधनों को और अधिक सुलभ, समृद्ध और प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
इस अवसर पर दोनों संस्थानों के अधिकारियों ने इस साझेदारी को शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन और नवाचार की दिशा में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने विश्वास जताया कि यह सहयोग छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों को उन्नत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक सामग्री तक आसान पहुंच प्रदान करेगा।
समारोह में मौजूद प्रमुख लोग
इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से आए विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रख्यात शिक्षाविद, आंगनबाड़ी प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रशासनिक अधिकारी बड़ी संख्या में शामिल हुए। सभी ने राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा किए गए इस सराहनीय प्रयास की खुले दिल से प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य तभी साकार होता है, जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और उसे सशक्त बनाए। यह पहल न केवल समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देती है, बल्कि जनहित और सामाजिक विकास की दिशा में भी एक प्रेरणादायक कदम है, जो अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक उदाहरण बनेगा।
एक समर्पित प्रयास की मिसाल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने उद्बोधन के अंत में यह भी कहा कि “हमारे देश के भविष्य की नींव बचपन में ही रखी जाती है। यदि हम आंगनबाड़ी जैसी संस्थाओं को मजबूत बनाएंगे, तो आने वाली पीढ़ी अपने आप सशक्त होगी। यह पुस्तक एक साधन नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है।”
निष्कर्ष
राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा किया गया यह कार्य केवल एक अकादमिक कदम नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस पहल से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को जहां नई जानकारी और दिशा मिलेगी, वहीं बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार आएगा।
यह पुस्तक और इसके साथ जुड़ा प्रमाण पत्र कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण, बाल कल्याण और शिक्षा के क्षेत्र में एक सशक्त उदाहरण बनकर उभर रहा है।
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