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सरदार पतविंदर सिंह: देशप्रेम का वो जज़्बा जो दिलों को छू जाता है

Sardar Patwinder Singh Patriotism
सरदार पतविंदर सिंह: फोटो- 1999

सरदार पतविंदर सिंह: देशप्रेम का वो जज़्बा जो दिलों को छू जाता है

(रिपोर्ट:  राष्ट्रीय मुख्य ब्यूरो चीफ अभय कुo सिंह)

नैनी, प्रयागराज

देशभक्ति कोई शब्द नहीं, एक ऐसी आग है जो सीने में जलती है और जीवन को मकसद देती है। प्रयागराज के सरदार पतविंदर सिंह इस आग की जीती-जागती मिसाल हैं। उनका जीवन, उनका संघर्ष और उनकी निस्वार्थ सेवा हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो अपने देश के लिए कुछ करना चाहता है। उनकी कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक ऐसे जुनून की है जो समाज को बदल देता है।

1999: जब शरीर ने बोली देशभक्ति की भाषा

1999 का कारगिल युद्ध, जब भारत की सीमाओं पर संकट मंडरा रहा था। पूरा देश गुस्से और एकजुटता में डूबा था। उस दौर में एक युवा सरदार ने कुछ ऐसा किया, जिसने सबके दिलों को झकझोर दिया। सरदार पतविंदर सिंह ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास के सामने अपने शरीर को कैनवास बनाया। उनके सीने और बाहों पर लिखे गए थे देशप्रेम के नारे, विरोध की हुंकार। 

नंगे पांव सड़कों पर चलते हुए, उनके पैरों में छाले पड़ गए, मगर उनके इरादों में कोई दरार नहीं आई। लोग उनकी इस दीवानगी को देखकर स्तब्ध रह गए। एक बुजुर्ग ने कहा, “ऐसा जज़्बा अब कहां देखने को मिलता है!” उस दिन सरदार पतविंदर सिंह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि भारत के हर उस दिल की आवाज़ बन गए जो अपने वतन के लिए धड़कता है।

26 साल बाद भी वही जोश

आज, 26 साल बाद भी सरदार पतविंदर सिंह का जोश वैसा ही है। आतंकवाद, भ्रष्टाचार, और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ उनकी आवाज़ आज भी उतनी ही बुलंद है। वे कहते हैं, “मेरे लिए देश मेरा मंदिर है, और इसकी सेवा मेरा धर्म।” उनके शब्दों में वो आग है जो सुनने वाले के दिल में भी देशप्रेम की चिंगारी जला देती है।

13 साल की उम्र में शुरू हुआ सफर

पतविंदर सिंह का समाज सेवा का सफर तब शुरू हुआ जब वे महज़ 13 साल के थे। उस छोटी सी उम्र में उन्होंने ठान लिया था कि उनका जीवन दूसरों के लिए होगा। चाहे भूखे को रोटी देना हो या किसी असहाय की मदद, उन्होंने हर कदम पर समाज को बेहतर बनाने की कोशिश की। उनका कहना है, “ज़िंदगी का मतलब सिर्फ अपने लिए जीना नहीं, बल्कि दूसरों के लिए कुछ कर दिखाना है।”

समाज और देश के लिए उनके योगदान

सरदार पतविंदर सिंह ने समाज के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है:

  • जनसंख्या नियंत्रण: छोटे परिवार की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया।
  • पर्यावरण संरक्षण: पेड़ लगाने से लेकर प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम तक, उन्होंने प्रकृति को बचाने का बीड़ा उठाया।
  • गंगा स्वच्छता: गंगा को निर्मल रखने के लिए जनता को साथ लेकर अभियान चलाया।
  • मतदाता जागरूकता: युवाओं को वोट की ताकत समझाई और उन्हें लोकतंत्र का हिस्सा बनने को प्रेरित किया।
  • नशा मुक्ति: नशे की लत से युवाओं को बचाने के लिए प्रेरणादायक अभियान चलाए।
  • स्वच्छ राजनीति: आपराधिक छवि वाले नेताओं के खिलाफ खुलकर आवाज़ उठाई और जनता को सचेत किया।

नैनी का वो सितारा जो चमकता रहेगा

प्रयागराज के गुरुनानक नगर, नैनी में जन्मा यह साधारण सा इंसान आज असाधारण कामों का पर्याय बन चुका है। सरदार पतविंदर सिंह ने कभी नाम या शोहरत की चाह नहीं रखी। वे कहते हैं, “नाम मिट जाएगा, लेकिन काम हमेशा ज़िंदा रहेगा।” नैनी की गलियों में आज भी लोग उनके काम को सलाम करते हैं।

युवाओं के लिए एक दिल छू लेने वाला संदेश

आज के दौर में, जब युवा अपने लक्ष्य और दिशा को लेकर भटक रहा है, सरदार पतविंदर सिंह का संदेश उनके लिए एक रास्ता दिखाता है। वे कहते हैं, “युवा देश की ताकत है, लेकिन बिना मकसद के यह ताकत बिखर जाती है। अपने जीवन को एक ऐसा लक्ष्य दो जो न सिर्फ तुम्हें गर्व दे, बल्कि तुम्हारे देश को भी ऊंचा उठाए।” उनकी ये बातें सुनकर हर युवा के दिल में कुछ कर गुजरने की ललक जाग उठती है।

एक साधारण इंसान, एक असाधारण कहानी

सरदार पतविंदर सिंह कोई नेता नहीं, कोई सेलिब्रिटी नहीं। वे एक साधारण इंसान हैं, जिन्होंने अपने असाधारण जुनून से समाज को बदलने का रास्ता दिखाया। न कोई राजनीतिक समर्थन, न कोई प्रचार की चाह, बस एक संकल्प कि भारत माता की सेवा हो और अगली पीढ़ी देश के लिए कुछ कर दिखाए।

उनकी कहानी हमें सिखाती है कि अगर दिल में देशप्रेम और इरादों में पक्कापन हो, तो एक इंसान अकेले भी समाज को नई दिशा दे सकता है। सरदार पतविंदर सिंह का जीवन एक ऐसी किताब है, जिसका हर पन्ना हमें देश के लिए जीने की प्रेरणा देता है।

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