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जनपद में 4 एवं 5 मार्च को निकाली जाएगी वाटरशेड यात्रा |
जनपद में 4 एवं 5 मार्च को निकाली जाएगी वाटरशेड यात्रा: जल, जंगल और जमीन बचाने हेतु जन जागरूकता का अभियान - भूमि संरक्षण अधिकारी
(प्रतापगढ़ संवाददाता सुनील त्रिपाठी )
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के अंतर्गत जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने और आम जनता की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए जनपद में विशेष वाटरशेड यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
इस अभियान के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु बाइक रैली का आयोजन किया गया, जो विकास खंड सदर, मंगरौरा, पट्टी एवं आसपुर देवसरा के 144 ग्रामों में प्रचार-प्रसार करेगी।
बाइक रैली से जागरूकता अभियान की शुरुआत
भूमि संरक्षण अधिकारी प्रथम/द्वितीय चमन सिंह ने जानकारी दी कि इस अभियान के तहत 04 मार्च 2025 को वाटरशेड यात्रा को भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई एलईडी वैन के माध्यम से विभिन्न ग्रामों में जनजागरण के लिए निकाला जाएगा।
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को जल संसाधनों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।
वाटरशेड यात्रा का कार्यक्रम
04 मार्च 2025
- प्रातः 9:30 बजे – प्राथमिक विद्यालय गोड़े (विकास खंड मंगरौरा)
- अपराह्न 2:00 बजे - नवाबाद (सरौली) स्थित तालाब (विकास खंड मंगरौरा)
05 मार्च 2025
- प्रातः 9:30 बजे - ग्राम ढिढुई स्थित तालाब (विकास खंड पट्टी)
- अपराह्न 2:00 बजे - ग्राम कबीरपुर स्थित तालाब (विकास खंड आसपुर देवसरा)
अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी
इस बाइक रैली का संचालन वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ग्रुप-ए अरविंद कुमार सिंह एवं तिलक सिंह द्वारा किया गया। रैली के दौरान वाटरशेड योजना के महत्व पर प्रकाश डाला गया और स्थानीय लोगों को जल संरक्षण के उपायों से अवगत कराया गया।
इस कार्यक्रम में भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ग्रुप-बी तथा प्राविधिक सहायक ग्रुप-सी ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल
वाटरशेड यात्रा का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण, सतत कृषि, वनों की रक्षा, मृदा कटाव की रोकथाम तथा पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करना है।
इस पहल के माध्यम से जल स्रोतों के पुनर्जीवन और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचाया जा सके।
इस यात्रा से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण को लेकर एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
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