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Satyagraha by Outsourced Electricity Workers: बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगों को लेकर सत्याग्रह दूसरे दिन भी जारी

Satyagraha by Outsourced Electricity Workers Continues for Second Day Over Demands

Satyagraha by Outsourced Electricity Workers: बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगों को लेकर सत्याग्रह दूसरे दिन भी जारी

(सीतापुर ब्यूरो एम०वी खान)

सीतापुर: बिजली विभाग में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की ज्वलंत समस्याओं को लेकर अधीक्षण अभियंता कार्यालय, सीतापुर में चल रहा सत्याग्रह आज दूसरे दिन भी जारी रहा। कर्मचारियों का आरोप है कि विभाग एवं ठेकेदार कंपनी वर्ल्ड क्लास ने जनवरी 2025 में हुए नए अनुबंध के बावजूद उनकी प्रमुख मांगों की अनदेखी की है।

कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

1. ईपीएफ एवं ईएसआई का भुगतान न होना: जनवरी 2025 में हुई नई ठेका प्रणाली के तहत कार्यदायी संस्था द्वारा कर्मचारियों के भविष्य निधि (EPF) के पैसे खातों में जमा नहीं किए जा रहे हैं। इसके अलावा, ESIC कार्ड भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, जिससे वे स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं।

2. सुरक्षा उपकरणों की अनुपलब्धता: कर्मचारियों को कार्यस्थल पर आवश्यक सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जा रहे हैं, जिससे उनके जीवन को खतरा बना हुआ है।

3. समझौते का उल्लंघन: संगठन और अधीक्षण अभियंता, सीतापुर के बीच 31 जनवरी 2024 एवं 12 नवंबर 2024 को हुए समझौते में निष्कासित पांच कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर पुनः कार्य पर रखने का निर्णय लिया गया था। लेकिन इसके विपरीत, नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच नए कर्मचारियों की भर्ती कर ली गई, जबकि पुराने कर्मचारियों की अनदेखी की गई।

4. अन्यायपूर्ण निष्कासन: हाल ही में दो और कर्मचारियों को विभागीय आदेशों के विपरीत नौकरी से निकाल दिया गया, जिससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।

संगठन ने दी थी चेतावनी, प्रशासन बना रहा उदासीन

संगठन ने 22 मार्च 2025 तक अधीक्षण अभियंता, सीतापुर को कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान हेतु निवेदन किया था। लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते 24 मार्च 2025 से अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर सत्याग्रह शुरू कर दिया गया।

कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक सत्याग्रह जारी रहेगा। संगठन के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन जल्द समाधान नहीं करता, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।

प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

बिजली कर्मचारियों के इस सत्याग्रह को लेकर प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार द्वारा श्रमिक हितों की रक्षा के लिए विभिन्न कानून बनाए गए हैं, लेकिन ठेका कंपनियां और अधिकारी मिलकर इन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

यदि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो यह आंदोलन बड़े स्तर पर फैल सकता है, जिससे बिजली व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। अब देखना होगा कि प्रशासन कब तक इस मामले में संज्ञान लेता है और कर्मचारियों को उनका हक कब तक मिलता है।


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