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मुख्य विकास अधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी ने किया गेहूं की क्रॉप कटिंग का निरीक्षण

Wheat Crop Cutting Inspection

मुख्य विकास अधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी ने किया गेहूं की क्रॉप कटिंग का निरीक्षण, किसानों को मिली 36 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक की उत्पादकता

ब्यूरो: सुनील त्रिपाठी, प्रतापगढ़

प्रतापगढ़: रबी सीजन 2024-25 के अंतर्गत जनपद में गेहूं की औसत उपज एवं उत्पादन के सटीक आंकलन हेतु सोमवार को मुख्य विकास अधिकारी डॉ. दिव्या मिश्रा एवं अपर जिलाधिकारी (वि/रा) आदित्य प्रजापति ने क्रमश: तहसील पट्टी के ग्राम लाखीपुर एवं तहसील सदर के ग्राम पतुलकी में क्रॉप कटिंग प्रयोगों का निरीक्षण किया।

ग्राम लाखीपुर में सीडीओ डॉ. दिव्या मिश्रा ने कृषक विजय बहादुर के खेत में 10 मीटर के समबाहु त्रिभुज क्षेत्र में कटाई कराई, जिसमें 15.750 किलोग्राम गेहूं प्राप्त हुआ। इस आधार पर प्रति हेक्टेयर 36 कुंतल की प्रभावशाली उत्पादकता दर्ज की गई। 

वहीं, ग्राम पतुलकी में एडीएम आदित्य प्रजापति ने कृषक हौसिला प्रसाद सिंह के खेत में इसी विधि से क्रॉप कटिंग कराई, जिसमें 15.300 किलोग्राम गेहूं प्राप्त हुआ और प्रति हेक्टेयर 35 कुंतल की उपज पाई गई।

निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि क्रॉप कटिंग प्रयोगों के माध्यम से जिले में होने वाले वास्तविक उत्पादन का आंकलन किया जाता है, जो कृषि योजनाओं एवं फसल बीमा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। 

उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपनी फसल को सरकारी क्रय केंद्रों पर ही विक्रय करें ताकि उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके।

अपर जिलाधिकारी आदित्य प्रजापति ने किसानों को मोटे अनाज एवं उन्नत कृषि पद्धतियों के प्रति जागरूक करते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत होने वाले क्रॉप कटिंग के महत्व पर प्रकाश डाला। 

उन्होंने बताया कि इस वर्ष फसल बीमा योजना के अंतर्गत सीसीई एग्री ऐप के माध्यम से कटाई कार्य संपन्न कराया गया है जिससे आंकड़ों की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

इस अवसर पर अपर सांख्यिकीय अधिकारी करूणेश यादव, राजस्व निरीक्षक रविशंकर ओझा व श्रीकांत तिवारी, लेखपाल सतीश गुप्ता, हिमांशु व महेन्द्र पाण्डेय, पीएम फसल बीमा योजना के कॉर्डिनेटर आशीष कुमार व पुनीत कुमार समेत स्थानीय किसान भी उपस्थित रहे।

इस निरीक्षण के माध्यम से प्रशासन द्वारा न केवल पारदर्शिता का संदेश दिया गया, बल्कि किसानों को वैज्ञानिक एवं योजनाबद्ध खेती के लिए प्रेरित भी किया गया।

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