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BJP सरकार की स्कूल मर्जर नीति के खिलाफ आम आदमी पार्टी का जोरदार विरोध

AAP Protest BJP School Merger Policy

BJP सरकार की स्कूल मर्जर नीति के खिलाफ आम आदमी पार्टी का जोरदार विरोध

रानीगंज (प्रतापगढ़), 14 जुलाई 2025

(ब्यूरो चीफ सुनील कुमार त्रिपाठी) 

उत्तर प्रदेश सरकार की स्कूल मर्जर नीति ने रानीगंज विधानसभा क्षेत्र में भारी असंतोष पैदा कर दिया है। इस नीति के तहत कई प्राथमिक स्कूलों को बंद कर अन्य स्कूलों में मिलाने का प्रस्ताव है, जिसके खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ मिलकर आप ने इस फैसले को ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के लिए हानिकारक बताया।

आप के जिला अध्यक्ष दिनेश उपाध्याय ने रामगढ़ बभनमई, नसीरपुर, घाटमपुर और औवार के प्राथमिक स्कूलों में जनसंपर्क अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून बच्चों को अपने घर के पास मुफ्त और अच्छी शिक्षा की गारंटी देता है। लेकिन यह नीति बच्चों को दूर के स्कूलों में भेजने की योजना है, जो गरीब परिवारों के लिए अन्यायपूर्ण है।

शिक्षा पर खतरा, अभिभावकों में नाराजगी

अभिभावकों ने चिंता जताई कि बच्चों को 4-5 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ेगा, जो बारिश और गर्मी में मुश्किल और जोखिम भरा है। एक अभिभावक ने कहा कि हमारे बच्चों के लिए इतना लंबा सफर करना पढ़ाई छोड़ने का कारण बन सकता है। यह उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा है। शिक्षकों ने भी इस नीति को अपनी कार्यक्षमता के लिए नुकसानदेह बताया।

आप का आंदोलन और नेताओं की मौजूदगी

प्रदर्शन में आप के जिला उपाध्यक्ष विद्या शंकर विश्वकर्मा, देवीदीन गौतम, प्रबुद्ध प्रकोष्ठ अध्यक्ष मनोज सिंह, महिला प्रभारी सावित्री पांडेय, और कार्यकारिणी सदस्य धुन्नू सिंह व गोविंद हरी शामिल हुए। सभी ने कहा कि आप शिक्षा के साथ इस तरह का अन्याय बर्दाश्त नहीं करेगी और जरूरत पड़ी तो जिले भर में बड़ा आंदोलन होगा।

शिक्षा के बिना विकास अधूरा

नेताओं ने जोर देकर कहा कि गांवों के स्कूल शिक्षा का आधार हैं। इन्हें बंद करना बच्चों के भविष्य को खतरे में डालना है। आप ने मांग की कि मर्जर नीति को तुरंत वापस लिया जाए और ग्रामीण स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई जाएं।

अगले कदम

आप ने ऐलान किया कि वह जल्द ही जिला स्तर पर जन सुनवाई करेगी, जिसमें प्रभावित परिवारों की समस्याएं दर्ज की जाएंगी। इसके बाद जिलाधिकारी और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा। साथ ही, स्थानीय विधायकों और सांसदों के जरिए यह मुद्दा विधानसभा और संसद तक पहुंचाया जाएगा।

निष्कर्ष

आम आदमी पार्टी का यह विरोध शिक्षा के अधिकार की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रामीण समुदाय की नाराजगी दिखाती है कि सरकार को अपनी नीति पर दोबारा विचार करना होगा, वरना यह आंदोलन और तेज हो सकता है।

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