ग्राम पंचायत परासडीह में बेंच घोटाला! नकली प्रधान का नाम, असली प्रधान गायब: BDO की चुप्पी पर उठे सवाल
(ब्यूरो चीफ सुनील कुमार त्रिपाठी)
गौर, बस्ती: गौर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत परासडीह में एक बड़ा प्रशासनिक फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें सरकारी सीमेंट बेंचों पर नकली प्रधान का नाम लिखवाया गया और जब इसकी शिकायत की गई तो जांच के नाम पर लीपापोती कर दी गई। यह मामला अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, परासडीह ग्राम पंचायत में हाल ही में सीमेंट से बनी बेंचों की आपूर्ति कराई गई थी, जिन पर ग्राम प्रधान के नाम के साथ पंचायत की जानकारी अंकित की जानी थी। लेकिन इन बेंचों पर असली ग्राम प्रधान कुमारी पत्नी राम सरन के स्थान पर पंडित अमन शुक्ला का नाम अंकित कर दिया गया। पंडित अमन शुक्ला किसी भी आधिकारिक पद पर नहीं हैं, फिर भी उन्हें "ग्राम प्रधान" दिखाते हुए बेंचों पर नाम दर्ज करा दिया गया।
इस फर्जीवाड़े के खिलाफ क्षेत्र पंचायत सदस्य हृदय नारायण मिश्र ने खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) के.के. सिंह को लिखित शिकायत दी और संबंधित सचिव सूरज पांडेय के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की। लेकिन बीडीओ ने न तो ठोस जांच कराई और न ही कार्रवाई की, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि कहीं यह सब मिलीभगत का नतीजा तो नहीं?
शिकायत के बाद नकली प्रधान अमन शुक्ला ने अपना नाम तो बेंचों से हटवा दिया, लेकिन साथ ही असली प्रधान कुमारी का नाम भी हटा दिया गया। इससे यह संदेह और गहराता है कि कहीं यह पूरा मामला भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जुड़ा तो नहीं?
ग्राम पंचायत सचिव की भूमिका पर भी गंभीर सवाल
सूत्रों के अनुसार, सचिव सूरज पांडेय की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। आरोप है कि वे कमीशन के खेल में शामिल होकर विकास कार्यों की फाइलों पर हस्ताक्षर कर देते हैं, भले ही ज़मीनी स्तर पर कोई कार्य हुआ हो या नहीं। टीए ओम प्रकाश पर भी इसी प्रकार की शह देने के आरोप हैं।
कहा जा रहा है कि यदि सचिव और टीए ने नकली प्रधान को बढ़ावा न दिया होता तो असली प्रधान का वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार (पावर) सीज न होता। इससे ग्राम विकास की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
इस पूरे मामले पर जब खंड विकास अधिकारी के० के० सिंह से फोन पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। यह चुप्पी स्वयं में कई सवालों को जन्म देती है।
जिले में मची खलबली
इस पूरे प्रकरण ने जिलेभर में हलचल मचा दी है। लोगों के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि जब ग्राम प्रधान के अधिकार ही इस तरह से हड़पे जा सकते हैं तो ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही का क्या होगा?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या नकली प्रधान, भ्रष्ट सचिव और उदासीन बीडीओ के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होती है या फिर यह एक और मामला सिर्फ फाइलों में दाबा हुआ रहा जाएगा
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