Ticker

6/recent/ticker-posts

Brijghat Kanwar Yatra 2025: भारी वाहनों पर रोक से जाम, प्रशासन की चुनौतियां और भक्ति का माहौल

Brijghat Kanwar Yatra 2025: भारी वाहनों पर रोक से जाम, प्रशासन की चुनौतियां और भक्ति का माहौल

(रिपोर्ट- ब्यूरो चीफ नरेंद्र कुमार)

मुरादाबाद-गढ़मुक्तेश्वर (13 जुलाई 2025): श्रावण मास के आगमन के साथ बृजघाट में कांवड़ यात्रा का उत्साह अपने चरम पर है। हजारों की संख्या में शिवभक्त गंगा जल लेकर हरिद्वार और अपने स्थानीय शिवालयों की ओर कांवर लिए नंगे पांव बढ़ रहे हैं। 

कांवरियों की सुरक्षा के लिए मुरादाबाद से गढ़मुक्तेश्वर तक भारी वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि, इस कदम से कई स्थानों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे स्थानीय लोग और यात्री परेशान हैं।

प्रशासन की तैयारियां और जमीनी हालात

कांवरियों की सुविधा के लिए प्रशासन ने कई इंतजाम किए हैं। सड़कों पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं, एकतरफा यातायात व्यवस्था लागू की गई है, और मेडिकल कैंप, पानी के स्टॉल व विश्राम स्थल बनाए गए हैं। कई स्थानीय स्वयंसेवी संगठन और एनजीओ सेवा कार्यों में सक्रिय हैं। 

फिर भी, जहाँ जहाँ पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं वहां पर यातायात और जाम भुत अधिक देखने को मिला। कुछ जगहों पर व्यवस्थाएं कमजोर दिखीं। भारी वाहनों की रोक के बावजूद सड़क किनारे खड़े वाहन अव्यवस्था का कारण बने। सूचना के अभाव में कई यात्रियों को भटकना पड़ा।

भक्ति से भरा माहौल

इस बार बृजघाट से कांवड़ लेकर निकलने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में और बढ़ी है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आए भक्त “हर हर महादेव” और “बोल बम” के नारों के साथ दिन-रात यात्रा कर रहे हैं। नंगे पांव और कांवर कंधे पर लिए यह भक्ति का जनसैलाब पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक रंग में रंग रहा है।

स्थानीय लोगों की मुश्किलें

कांवड़ यात्रा का धार्मिक उत्साह एक ओर जहां क्षेत्र को जीवंत बना रहा है, वहीं स्थानीय निवासियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सड़कों पर जाम और वैकल्पिक मार्गों की कमी से स्कूल, अस्पताल और कार्यस्थलों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक रास्तों का अभाव होने से लोगों को लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है।

प्रशासन की भूमिका और कमियां

प्रशासन ने यात्रा को सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन कुछ स्थानों पर कमियां भी सामने आईं। कुछ पुलिसकर्मी ट्रैफिक प्रबंधन से ज्यादा अन्य कार्यों में व्यस्त दिखे। श्रद्धालुओं और यात्रियों के सवालों का जवाब देने में देरी और आपात स्थिति में त्वरित सहायता की कमी चिंता का विषय रही।

भविष्य के लिए सुझाव

कांवड़ यात्रा भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है, जो आस्था और भक्ति का प्रतीक है। इसकी व्यवस्था और सुरक्षा के लिए प्रशासन पर बड़ी जिम्मेदारी है। कुछ जगहों पर प्रशासन की सक्रियता प्रशंसनीय रही, लेकिन कई क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। 

भविष्य में इस यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए प्रशासन को स्थानीय समुदाय, धार्मिक संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करना चाहिए। ट्रैफिक प्रबंधन और सूचना प्रसार के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग भी इस यात्रा को और सुगम बना सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ