Kathari Bihar में मोहर्रम के जुलूस के दौरान महावीर मंदिर पर हमला, सांप्रदायिक सौहार्द पर फिर उठे सवाल
(डिजिटल संपादक बलराम वर्मा)
कटिहार, बिहार - 6 जुलाई 2025
एक बार फिर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की हकीकत पर सवालिया निशान लग गया है। बिहार के कटिहार जिले से एक चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई है, जहां मोहर्रम जुलूस के दौरान महावीर मंदिर को निशाना बनाया गया। दंगाइयों ने मंदिर परिसर में पथराव किया, मूर्ति खंडित कर दी और कई वाहनों में तोड़फोड़ की। इस घटना से इलाके में दहशत फैल गई और श्रद्धालु सदमे में हैं।
घटना के समय मंदिर में कुछ स्थानीय लोग पूजा-अर्चना कर रहे थे, तभी अचानक जुलूस की आड़ में आए असामाजिक तत्वों ने उग्र रूप धारण कर लिया। देखते ही देखते माहौल तनावपूर्ण हो गया। मंदिर की दीवारों को क्षतिग्रस्त किया गया, कई धार्मिक मूर्तियों को तोड़ा गया और वहां खड़ी गाड़ियों पर भी हमला किया गया।
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह रही कि धर्मनिरपेक्षता का दम भरने वाले नेताओं ने इस गंभीर घटना पर पूरी तरह चुप्पी साध ली। न किसी ने पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की, न ही शांति बनाए रखने की अपील की।
सद्भाव और भाईचारे की बात करने वाले लोगों की यह चुप्पी समाज में दोहरी मानसिकता की ओर इशारा करती है। जिस गंगा-जमुनी तहजीब को हर मौके पर आदर्श बताकर प्रस्तुत किया जाता है, वह ऐसी घटनाओं पर चुप्पी में कहीं खो जाती है।
मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने पहले से कोई पुख्ता तैयारी नहीं की थी। घटनास्थल पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, लेकिन इस घटना ने जिले की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमलों और एकतरफा सहिष्णुता की मांग ने समाज में भाईचारे की कथित अवधारणा को खोखला साबित कर दिया है। कटिहार की घटना कोई पहली नहीं है, पर यह निश्चित रूप से सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर धार्मिक सहिष्णुता का असली मतलब क्या है और क्या वह केवल एक पक्ष पर ही लागू होता है?
स्थानीय नागरिकों और हिंदू संगठनों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि आखिर जब किसी विशेष समुदाय के धार्मिक स्थलों पर हमला होता है, तो प्रशासन और राजनेता चुप्पी क्यों साध लेते हैं? उनके इस रवैये पर अब सवाल उठने लगे हैं।
यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है, बल्कि उस तथाकथित सेक्यूलरिजम की सच्चाई भी सामने लाती है, जिसकी दुहाई केवल एकतरफा दी जाती है।
वक्त का मुद्दा न्यूज़ किसी भी समुदाय के लोगों या उनकी धार्मिक भावना को आहत नहीं करता है यह केवल उन उपद्रवियों के खिलाफ आवाज उठाता है जो समाज में ऐसे कृत्य करते हैं।
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