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काशी ने दिया सनातन-सिख एकता का ऐतिहासिक संदेश, CM Yogi को सिख समाज ने दिया धन्यवाद

Kashi Sanatan Sikh Unity CM Yogi

काशी ने दिया सनातन-सिख एकता का ऐतिहासिक संदेश, CM Yogi को सिख समाज ने दिया धन्यवाद

(राo मुख्य ब्यूरो चीफ अभय कुo सिंह)

वाराणसी: धार्मिक समरसता, आपसी सौहार्द और आध्यात्मिक चेतना की नगरी काशी ने एक बार फिर पूरी दुनिया को भाईचारे और एकता का संदेश दिया है। अवसर था, नौवें सिख गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्ष का। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र द्वारा आयोजित एक बैठक में ऐतिहासिक घटनाक्रम के माध्यम से सनातन और सिख समाज की एकता को दर्शाया गया।

इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने बताया कि काशी के जगतगंज क्षेत्र में स्थित श्री गुरु तेग बहादुर चरण स्पर्श गुरुद्वारा, जो पिछले 42 वर्षों से एक कानूनी विवाद में उलझा हुआ था, उसे दोनों पक्षों ने आपसी सहमति और संवाद के माध्यम से सुलझा लिया है। इस ऐतिहासिक फैसले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मध्यस्थता और सकारात्मक भूमिका को लेकर सिख समाज में गहरा सम्मान और आभार व्यक्त किया गया।

सनातन और सिख एकता की मिसाल

सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि यह केवल एक गुरुद्वारा विवाद के सुलझने की बात नहीं है, बल्कि यह उस सांस्कृतिक विरासत की पुनर्स्थापना है जिसमें भारत की आत्मा बसती है। उन्होंने कहा, "काशी के जन-जन को इस ऐतिहासिक पहल के लिए बधाई दी जानी चाहिए, जिन्होंने शांति और सहिष्णुता का मार्ग अपनाया और एकता की मजबूत मिसाल पेश की।"

बैठक में मौजूद परमजीत सिंह बग्गा ने भी श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, विचारों और बलिदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने धर्म, न्याय और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का त्याग किया था। उनके द्वारा दिए गए बलिदान ने भारत को एक ऐसी आध्यात्मिक विरासत दी, जो आज भी लोगों को प्रेरणा देती है।

योगी आदित्यनाथ की ऐतिहासिक भूमिका

गौरतलब है कि जगतगंज स्थित चरण स्पर्श गुरुद्वारा का मामला पिछले 42 वर्षों से न्यायालय में लंबित था। दोनों पक्षों के बीच मतभेद के चलते न केवल गुरुद्वारा विकास प्रभावित हो रहा था, बल्कि सामाजिक सौहार्द पर भी असर पड़ रहा था। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहल करते हुए दोनों पक्षों से संवाद स्थापित कराया और न्यायसंगत समाधान का मार्ग प्रशस्त किया।

सिख समुदाय के वरिष्ठ सदस्यों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धार्मिक समरसता का रक्षक करार देते हुए उन्हें लख-लख बधाई और आभार प्रकट किया। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि योगी सरकार के नेतृत्व में सभी धर्मों को बराबर सम्मान दिया जा रहा है।

श्री गुरु तेग बहादुर जी का आदर्श जीवन

बैठक में वक्ताओं ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुरु जी न केवल एक आध्यात्मिक पुरुष थे, बल्कि समाज-सुधारक और मानवता के पुजारी भी थे। उन्होंने रूढ़िवादिता के खिलाफ आवाज उठाई, आर्थिक समानता की बात की और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए जीवन का बलिदान दिया।

परमिंदर सिंह बंटी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान केवल सिख धर्म के लिए नहीं था, बल्कि वह समूची मानवता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए था। उन्होंने मुगल शासन द्वारा धार्मिक अत्याचारों के विरुद्ध डटकर खड़े होकर हिंदुओं की रक्षा की, और यही कारण है कि वे “हिंद की चादर” के रूप में पूजे जाते हैं।

संपूर्ण काशी ने दिखाया सौहार्द

इस अवसर पर अन्य उपस्थित गणमान्य नागरिकों ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार जताया और काशी के जनमानस की सराहना की। जसविंदर सिंह, कुलदीप सिंह, सुरेंद्र पुरी, अमरजीत सिंह, हरजिंदर सिंह, हरमनजी सिंह, गुरदीप सिंह, दलजीत कौर आदि ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आज काशी न केवल एक धार्मिक नगरी है, बल्कि यह एकता, शांति और आध्यात्मिक चेतना की जीती-जागती मिसाल बन चुकी है।

भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण

सिख और सनातन समाज का यह मिलन भारतीय संस्कृति की उस गंगा-जमुनी तहजीब को प्रतिबिंबित करता है जो सहिष्णुता, संवाद और एकता पर आधारित है। जहां एक ओर श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को हिंदू समाज ने शिरोधार्य किया, वहीं सिख समाज ने भगवान राम, कृष्ण और शिव जैसे सनातन आराध्यों को भी सम्मान के साथ स्वीकार किया है। यही वह समन्वय है जो भारत को विश्व में अद्वितीय बनाता है।

अंतिम विचार

काशी में हुए इस निर्णय और सांस्कृतिक समरसता ने यह सिद्ध कर दिया कि जब समाज के सभी वर्ग संवाद और समझदारी से आगे आते हैं, तो पुराने विवाद भी सुलझ सकते हैं और नई पीढ़ी को सकारात्मक विरासत दी जा सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल को केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक एकता की पुनर्स्थापना माना जा रहा है।

सिख और सनातन समाज का यह मिलन न केवल काशी के लिए, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक प्रेरणास्पद घटना है जो यह बताता है कि एकता में ही शक्ति है।


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