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Bhayaharan Nath Dham: सावन मेला एवं घुघुरी उत्सव आयोजना बैठक 29 जून को

Sawan Mela Ghughuri Utsav Meeting
Bhayaharan Nath Dham: सावन मेला एवं घुघुरी उत्सव आयोजना बैठक 29 जून को

Bhayaharan Nath Dham: सावन मेला एवं घुघुरी उत्सव आयोजना बैठक 29 जून को

(ब्यूरो रिपोर्ट - सुनील कुमार त्रिपाठी)

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा और आस्था का केंद्र रहा प्रसिद्ध पांडव कालीन भयहरण नाथ धाम आगामी सावन मास में एक बार फिर भक्ति और श्रद्धा से गूंज उठेगा। 11 जुलाई से 9 अगस्त 2025 तक आयोजित होने जा रहे सावन मेला की सुव्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु प्रबंध समिति की महत्वपूर्ण बैठक 29 जून को दोपहर 12 बजे आयोजित की जाएगी। यह बैठक धाम स्थित कार्यालय परिसर में होगी।

बैठक में मेला और मंदिर व्यवस्था से जुड़ी सभी उप-समितियों के प्रतिनिधियों, संरक्षकों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भागीदारी रहेगी। घुघुरी लोक उत्सव जो 29 जुलाई नागपंचमी को मनाया जाएगा उसकी रूपरेखा और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी इसी बैठक में तय की जाएगी।

प्रशासनिक समन्वय और सामाजिक सहभागिता

इस संबंध में जानकारी देते हुए भयहरण नाथ धाम क्षेत्रीय विकास संस्थान के महासचिव व समाजसेवी समाज शेखर ने बताया कि मेला का आयोजन वर्ष 2010 से जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। शासन-प्रशासन की देखरेख में विभिन्न विभागों को जिम्मेदारी दी जाती है, जबकि स्थानीय समितियाँ सामूहिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारी के साथ अपना दायित्व निभाती हैं।

सावन के हर मंगलवार को लगने वाला परंपरागत मेला विशेष भीड़ आकर्षित करता है। इसलिए यातायात, भीड़ प्रबंधन व सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

प्रतिनिधित्व और जिम्मेदारियाँ तय होंगी

प्रबंध समिति की बैठक में विधायक जीत लाल पटेल, नगर पंचायत अध्यक्ष अशोक कुमार मुन्ना यादव, भयहरण नाथ धाम के अध्यक्ष आचार्य राजकुमार शुक्ल, कार्यवाहक अध्यक्ष लाल जी सिंह के मार्गदर्शन में योजनाएँ तय होंगी।

साथ ही मेला व्यवस्थापन के सचिव अनिल मिश्र, मंदिर व्यवस्थापन समिति के सचिव सच्चिदानंद पांडेय और कार्यालय प्रभारी नीरज मिश्र को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बैठक में नगर पंचायत, पुलिस चौकी, और राजस्व विभाग के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है ताकि समन्वित योजना बनाकर मेले को व्यवस्थित रूप से संपन्न कराया जा सके।

आस्था और परंपरा का समागम

भयहरण नाथ धाम केवल धार्मिक केंद्र नहीं बल्कि लोक आस्था, संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। सावन मेला और घुघुरी उत्सव न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक हैं, बल्कि क्षेत्रीय लोक संस्कृति और पारंपरिक लोक कलाओं के संरक्षण का भी माध्यम बनते हैं।

इस वर्ष भी जन-भागीदारी, प्रशासनिक सजगता और समितियों की सक्रियता से यह मेला एक भव्य, शांतिपूर्ण और व्यवस्थित आयोजन बनने की ओर अग्रसर है।

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